मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की आवश्यकता क्यों होती है ? – व्याख्या करते हुए समझाएँ ।

मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की आवश्यकता क्यों होती है ? – व्याख्या करते हुए समझाएँ ।

उत्तर⇒रक्त हृदय में दो बार परिसंचरण के दौरान गुजरता है इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। हृदय के बायें आलिंद का संबंध फुफ्फुस शिरा से होता है जो फेफड़ों में ऑक्सीजनयुक्त रक्त को लाती है। बायें आलिन्द का संबंध एक दिकपाट द्वारा बायें निलय से होता है। अत: बायें आलिन्द का संबंध एक दिक्पाट बायें निलय से होता है। अत: बायें आलिन्द का ऑक्सीजन युक्त रक्त कपाट खोलकर बायें निलय में भरा जाता है। बायें निलय का संबंध एक महाधमनी से होता है। अत: बायें निलय का ऑक्सीजन युक्त रक्त इस महाधमनी से होकर पूरे शरीर में चला जाता है। फिर शरीर विभिन्न भागों से ऑक्सीजन विहीन अशुद्ध रक्त महाशिरा द्वारा दायें आलिन्द में आता है। दायें आलिंद और दायें निलय के बीच त्रि-कपाट होता है। अतः दायें आलिन्द का रक्त इस कपाट से होकर दायें निलय में आ जाता है । दायें निलय का संबंध फुफ्फुस धमनी से होता है जो फेफड़ों तक जाती है। वहाँ उसकी कार्बन डाइऑक्साइड फेफड़ों में चली जाती है और ऑक्सीजन रक्त में आ जाता है।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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