मनोविज्ञान का अर्थ बताते हुए, मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए ।

मनोविज्ञान का अर्थ बताते हुए, मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए ।

उत्तर— मनोविज्ञान की शाखाएँ (Branches of Psychology)– मनोविज्ञान की परिभाषाओं से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह व्यक्ति के जटिल मानसिक एवं व्यावहारिक कार्य प्रणाली से सम्बन्धित विज्ञान है। मनोविज्ञान व्यक्ति की रुचियों, बौद्धिक क्षमता, व्यक्तित्व, व्यवहार तथा आदतों का प्रत्येक क्षेत्र में अध्ययन करता है। मानव व्यवहार पर विभिन्न अनुप्रयोगों एवं इससे प्राप्त जानकारी से इसका विस्तार क्षेत्र दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। मनोविज्ञान के शिक्षण में प्रयोग, समस्याओं के निराकरण एवं अध्ययनों से प्राप्त जानकारी, कौशलों एवं तकनीक का वास्तविक जीवन में उपयोग करने से इसके कार्य क्षेत्र को विस्तार मिला है। मनोविज्ञानियों द्वारा प्रयुक्त तीनों कार्यक्षेत्रों (शिक्षण, शोध तथा उपयोग) ने मनोविज्ञान की नवीन शाखाओं को जन्म दिया है। जो निम्न हैं—
(1) असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology)–मनोविज्ञान की इस शाखा में मानव के मानसिक रोगों से उत्पन्न व्यवहारों एवं उसके कारणों तथा उपचारों का अध्ययन किया जाता है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक विकारों का दूर करने मनो-निदानात्मक परीक्षणों द्वारा अध्ययन कर उन विकारों को के उपाय बताए जाते हैं। यह व्यक्ति के असामान्य व्यवहार का वर्णन करते हुए भविष्य की जानकारी भी प्रस्तुत करता है । असामान्य व्यवहार के अंतर्गत मानसिक विकार उत्पन्न करने वाले उन कारकों का अध्ययन किया जाता है जिन कारकों के कारण व्यक्ति असामान्य व्यक्ति कहलाता है।
(2) बाल मनोविज्ञान (Child Psychology ) – मनोविज्ञान की इस नवीन शाखा का इतिहास लगभग पचास वर्ष पुराना है। इसमें गर्भकालीन अवस्था से लेकर विभिन्न आयु स्तरों में मानव व्यवहार के विकास का क्रमिक अध्ययन किया जाता है। बाल मनोविज्ञान मानव की जैविक संरचना एवं मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं में होने वाले परिवर्तन से सम्बन्धित है। इस शाखा का अध्ययन जनसाधारण के लिए भी उपयोगी है क्योंकि इसमें बच्चों के कौशलों, भिन्नताओं, व्यक्तित्व तथा सामाजिक व्यवहारों का ज्ञान प्राप्त होता है।
(3) नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical Psychology ) – यह शाखा मानसिक रोगों के लक्षण, प्रकार, निदान तथा उपचार की विभिन्न विधियों का अध्ययन करती है। आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में व्यक्ति प्रत्येक स्तर पर निराशा, मानसिक तनाव, असंतोष एवं संवेगात्मक संघर्ष का अनुभव करता है। इससे उसका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। वर्तमान में उन्माद, शिजोफ्रेनिया व हिस्टीरिया जैसे विकारों तथा मनोभ्रम (dementia), मनोविकृति (psychosis), तंत्रिका रोग (neuroticism), मिरगी (Epilepsy), जैसी गंभीर मानसिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं अतः इन समस्याओं का अध्ययन एवं निराकरण करना अति आवश्यक हो गया है। इन समस्याओं के अध्ययन एवं निराकरण हेतु नैदानिक मनोवैज्ञानिकों की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिस कारण मनोविज्ञान के क्षेत्र में तीव्र वृद्धि हो रही है।
(4) विकासात्मक मनोविज्ञान (Developmental Psychology)— मनोविज्ञान का यह भाग मानव के शैशवावस्था, बाल्यावस्था तथा किशोरावस्था के दौरान होने वाले मनोवैज्ञानिक संज्ञानात्मक तथा सामाजिक घटनाक्रम का अध्ययन करता है। यह शाखा मनुष्य के जीवनकाल में हो रहे परिवर्तन के बारे में जानकारी प्रस्तुत करती है । मनोविज्ञान के इस भाग में जीवन भर घटित होने वाले मनोवैज्ञानिक संज्ञानात्मक तथा सामाजिक घटनाक्रम शामिल हैं। विकासात्मक मनोविज्ञान का मुख्य लक्ष्य, विकास को समझना, वर्णन करना तथा उसे व्यावहारिक अथवा अनुकूलित करना है।
(5) स्वास्थ्य मनोविज्ञान (Health Psychology)–मनोविज्ञान की यह शाखा व्यक्ति के दैहिक रोगों के प्रारम्भिक लक्षणों का पता लगाने तथा उनके उपचार का अध्ययन करती है। वर्तमान में मानव की शारीरिक व मानसिक बीमारियों की रोकथाम और उनके उपचार में स्वास्थ्य मनोविज्ञान का प्रयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है। मनोवैज्ञानिक आधुनिक भागदौड़ भरी जीवन शैली में असामान्य व्यवहार, उच्च रक्तचाप, दिल व धमनी एवं मधुमेह जैसी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का पता लगाकर उनके निराकरण में उपयोगी भूमिका निभा रहे हैं।
(6) सामाजिक मनोविज्ञान (Social Psychology)– मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक मनोविज्ञान समाज में रहने वाले व्यक्तियों के परस्पर सम्बन्धों, सामाजिक व्यवहारों, परम्पराओं, , रीतिरिवाजों आदि का गहन अध्ययन करती है। यह विषय सामाजिक समस्याओं के कारण,उनका व्यक्ति के व्यवहार पर प्रभाव, समस्याओं के उन्मूलन और समाज की उन्नति एवं विकास से सम्बन्धित पक्ष का विस्तारपूर्वक अध्ययन करता है।
(7) आपराधिक मनोविज्ञान (Forensic Psychology) – मनोविज्ञान का यह भाग यौन विकृतियों, आपराधिक व्यवहार व उससे सम्बन्धित अवधारणाओं एवं सैद्धान्तिक दृष्टिकोणों का व्यापक अध्ययन करता है। आपराधिक मनोविज्ञान विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों, आपराधिक आदतों को बढ़ाने वाले कारकों, अपराधियों को परामर्श, अपराध की रोकथाम तथा आपराधिक सुधार के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करता है।
(8) पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Animal Experimental Psychology)– मनोविज्ञान की यह शाखा पशु जगत से सम्बन्धित है और उनके व्यवहार का अध्ययन करती है। मनुष्य का अध्ययन करने से पहले पशुओं पर प्रयोग किया जाता है क्योंकि मनुष्य की अपेक्षा पशुओं की शारीरिक रचना अधिक सरल होती है और उन्हें आसानी से नियंत्रित परिस्थितियों में रखा जा सकता है । थॉर्नडाइक ने सर्वप्रथम पशुओं पर प्रयोग करके उनके व्यवहार सम्बन्धी नियमों का ज्ञान प्रस्तुत कर पशु मनोविज्ञान का विकास किया ।
(9) पर्यावरणीय मनोविज्ञान (Environmental Psychology)– मनोविज्ञान की यह शाखा प्राणी और उसके पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करती है। यह भौतिक पर्यावरण के साथसाथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक पक्षों पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है । पर्यावरणीय मनोविज्ञान, पर्यावरण प्रदूषण, जनसंख्या घनत्व, भीड़ की अनुभूति एवं उसके मनोवैज्ञानिक कारणों व परिणामों का मानव स्वभाव एवं व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभाव का विस्तार से अध्ययन करती है ।
(10) प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Experimental Psychology)– प्रयोगात्मक मनोविज्ञान आधुनिक मनोविज्ञान की सबसे प्राचीनतम शाखा है। पुराने समय में दार्शनिक व्यक्ति की समस्याओं का निराकरण चिंतन एवं विचार-विमर्श करके किया जाता था। परन्तु वर्तमान में मनुष्य की समस्याओं का मनोवैज्ञानिक विधि से अध्ययन किया जाता है। प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में सर्वप्रथम पशुओं पर प्रयोग किए जाते हैं फिर तुलनात्मक अध्ययन करके उन विधियों का उपयोग मानव का अध्ययन करने में किया जाता है ।
(11) दैहिक मनोविज्ञान (Physical Psychology)–  मनोविज्ञान की यह शाखा प्राणी के व्यवहार और उसके निर्धारक तत्त्वों व उसके प्रभावों से सम्बन्धित है। दैहिक मनोविज्ञान में मनोवैज्ञानिक मानसिक कार्य, मानसिक समस्याओं, मानवीय व्यवहार एवं हाव-भाव का विस्तार से अध्ययन करते हैं। यह विषय स्नायु तंतुओं से उत्पन्न संवेदना और तंत्रीय तथा उपापचयी (metabolic) प्रक्रियाओं में होने वाले आणविक शोध का भी ज्ञान प्रस्तुत करता है।
(12) मनोमिति (Psychometrics)– मनोविज्ञान के अन्तर्गत व्यक्ति की बौद्धिक, संवेगात्मक संरचनाएँ, उनकी योग्यताएँ, अभिवृत्तियाँ, रुचियाँ, पसंद-नापसंद आदि का अध्ययन किया जाता है। मनोमिति, मनोविज्ञान के इन घटकों के मापन, तकनीकी और सैद्धान्तिक पक्ष से सम्बन्धित है। मनोवैज्ञानिक प्रश्नावली व परीक्षणों जैसे उपकरणों की सहायता से व्यक्ति के व्यवहार, बौद्धिक क्षमता तथा व्यक्तित्व के विभिन्न संघटकों का मापन करते हैं। मनोमिति, अनुसंधान के इन उपकरणों के निर्माण और मापन के विभिन्न सैद्धान्तिक पक्षों के विकास का विस्तारपूर्वक अध्ययन करता है ।
(13) व्यक्तित्व मनोविज्ञान (Personality Psychology )– मनोविज्ञान की यह शाखा मानव की प्रकृति, उसके व्यक्तित्व तथा उससे जुड़े विभिन्न घटकों और उनके अंतरों के बारे में विस्तार से बताती है । व्यक्तित्व मनोविज्ञान व्यक्ति के हाव-भाव, आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाओं एवं गतिविधियों का अध्ययन करता है ।
(14) परामर्श मनोविज्ञान (Counselling Psychology)– मन के अंदर व्याप्त दमित विचारों को बाहर निकलवाना और उनको उचित दिशा-निर्देश प्रदान करना परामर्श मनोविज्ञान के अंतर्गत आता है । परामर्श मनोविज्ञान में मनोवैज्ञानिकों द्वारा मानसिक दुश्चिन्ता अथवा अवसाद की स्थिति में व्यक्ति की समस्याओं का उचित विधियों से अध्ययन कर मानसिक उपचार किया जाता है। सामान्यतः ऐसी समस्याएँ व्यक्ति के संवेगात्मक एवं सामाजिक पक्ष से सम्बन्धित होती हैं ।
(15) संगठनात्मक मनोविज्ञान (Organizational Psychology)– संगठनात्मक मनोविज्ञान संगठन के प्रबंधन, नेतृत्व कुशलता, कार्यस्थल पर संगठनात्मक व्यवहार परिवर्तन कर्मियों की दक्षता तथा उनके व्यवहार पर कॉर्पोरेट व सरकार के नियमों का प्रभाव एवं अनुसंधान के सिद्धान्त आदि का विस्तारपूर्वक अध्ययन करता है । यह मनोविज्ञान कर्मचारियों के चयन के मानदण्ड, कर्मियों की प्रेरणा और उनके कार्य के निष्पादन से सम्बन्धित मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित करता है।
(16) औद्योगिक मनोविज्ञान (Industrial Psychology)– मनोविज्ञान की यह शाखा उद्योग से सम्बन्धित है। औद्योगिक मनोविज्ञान उद्योग के मालिकों व उसमें कार्यरत कर्मचारियों के परस्पर कार्य सम्बन्ध, कार्यस्थल का परिवेश, सामाजिक व्यवहार, मजदूरों की स्थिति और उनके रहन-सहन, उनकी समस्याओं तथा इन समस्याओं का समाधान करने का अध्ययन करता है।
(17) शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational Psychology)– मनोविज्ञान की यह शाखा मुख्यत: शैक्षिक निष्पादन से सम्बन्धित है। यह कक्षा में बालक की सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करती है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक परिस्थितियों का मनोवैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करते हुए शैक्षिक प्रक्रिया में शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के सीखने सम्बन्धी व्यवहार का विश्लेषण करता है तथा उनके विकास व निर्देशन में योगदान देता है।
(18) व्यावहारिक मनोविज्ञान (Applied Psychology)– इस विषय के अन्तर्गत मनोविज्ञान के सैद्धान्तिक पक्ष की व्यावहारिकता का अध्ययन किया जाता है। आजकल मनोवैज्ञानिक विशुद्ध मनोविज्ञान की अपेक्षा यह जानने का अधिक प्रयास करते हैं कि मनोविज्ञान का मानव कल्याण हेतु अधिकाधिक उपयोग कैसे किया जाए।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *