मानव नर जननांगों का वर्णन करें।

मानव नर जननांगों का वर्णन करें।

उत्तर⇒ मनुष्य केनर जनन तंत्र में निम्नलिखित अंग आते हैं-
(i) वृषण – मनुष्य में एक जोड़ी वृषण होते हैं जो वृषण कोश में बन्द रहते हैं। वृषण में शुक्राणु उत्पन्न होते हैं। वृषण से शुक्राणु निकलने के बाद लगभग 48 घन्टे तक जीवित रहते हैं। शुक्राणुओं का निर्माण शुक्रजनन कहलाता है। वृषण कोष शुक्राणुओं को शरीर के ताप से 1-3°C निम्न ताप प्रदान करते हैं।

वृषण के कार्य हैं—

(क) शुक्राणु उत्पन्न करना, तथा (ख) नर लिंग, हारमोन-टेस्टोस्टीरोन की उत्पत्ति तथा स्रावण ।
यदि वृषण देहगुहा में ही रह जाते हैं तो बन्ध्यता उत्पन्न होती है।

(ii) एपीडिडिमिस – यह एक नलिकाकार संरचना होती है जो वृषण के साथ मजबूती से जुड़ी रहती है। यह सेमिनीफेरस नलिकाओं से जुड़ी रहती है ओर शुक्राणुओं के लिए एक संचय घर का कार्य करती है।

(iii) शक्राशय – एपीडिडिमिस से शुक्राणु वाहिनी द्वारा शुक्राणु शुक्राशय में आते हैं जहाँ ये पूरी तरह परिपक्व होते हैं तथा इनमें कुछ स्राव मिल जाते है।

(iv) प्रोस्टेट ग्रन्थि – यह ग्रन्थि कुछ विशिष्ट गंध या स्राव स्रावित करती है जो कि शुक्र रस में मिल जाते हैं।

(v) मन्त्र मार्ग – यह वह मार्ग है जिसमें से होकर मूत्र बाहर आता है। यह मूत्र मार्ग एक पेशीय अंग से निकलता है जिसे शिश्न कहते हैं। शिश्न का उपयोग मूत्र करने के साथ-साथ शुक्राणुओं (शुक्ररस) को निकालने के लिये भी किया जाता है।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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