मृदा प्रदूषण के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं ?

मृदा प्रदूषण के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं ? 

                               अथवा
‘मृदा प्रदूषण’ के क्या कारण हैं? स्पष्ट कीजिए ।
                               अथवा
टिप्पणी लिखिये : मृदा प्रदूषण ।
उत्तर— मृदा प्रदूषण के कारण (Causes of Soil Pollution ) मृदा प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्न हैं—
(1) कृषि जन्य कचरा (Agricultural Wastes) — यद्यपि कृषिजन्य कचरा कृषि का आधार है फिर भी कृषि कार्यों से उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट पदार्थ मृदा प्रदूषण का कारण बन जाते हैं। फसलों का डंठल, पुआल, घास-फूस, पत्ते आदि सभी कृषिजन्य कचरे के अन्तर्गत आते हैं। ये सभी पदार्थ यदि मृदा में पड़े रहें तो मृदा को अस्थायी रूप से प्रदूषित करते हैं। इन पदार्थों का एक निश्चित अवधि के पश्चात् जैविक अपघटन हो जाता है और ये मृदा के लिए जैविक खाद का कार्य करते है।
(2) रसायन (Chemicals) — मृदा प्रदूषण का एक मुख्य कारण कृषि में रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers), कीटनाशियों (Pesticides) तथा खरपतवारनाशियों (Weedicides) का लगातार बढ़ता प्रयोग है तथा हरित क्रान्ति एवं उसके बाद के वर्षों में उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यकता से अधिक रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग किया गया है, जिससे मृदा की रासायनिक संरचना में परिवर्तन हुए हैं एवं मृदा की लवणीयता (Salinity) में वृद्धि होने से हजारों एकड़ भूमि बंजर हो गई है।
(3) औद्योगिक कचरा (Industrial Waste) – उद्योगों से उत्सर्जित कचरे में विभिन्न प्रकार के पदार्थ मिले होते हैं। इन उत्सर्जित पदार्थों की प्रकृति उस उद्योग विशेष में की जाने वाली प्रक्रियाओं पर आधारित होती है। इस कचरे का निपटारा जटिल व खर्चीला होता है। इसीलिए इसे प्राय: खुले मैदानों या गड्ड़ों में भर दिया जाता है, जिससे मृदा प्रदूषण होता है। इसके लिए अतिरिक्त उद्योगों से स्रावित जल में भी अनेक प्रकार के रसायन भारी धातुएँ आदि मिली होती हैं। इन रसायनों व धातुओं की सूक्ष्म मात्रा भी मृदा को प्रदूषित कर देती हैं और जीवजन्तुओं का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
(4) घरेलू कचरा (Domestic Waste) — घरों से निकलने वाले कचरे में मुख्यतः सब्जियों, फलों के छिलके, डण्ठल, पत्ते-गुठलियाँ, चायपत्ती, बची हुई जूठन, धूल, राख, काँच, प्लास्टिक, क्रॉकरी के टूटे टुकड़े, रद्दी, कागज, गत्ता, लोहे या टिन के ढक्कन, बिगड़े हुए उपकरण, अण्डों के छिलके, मांस-मछली के टुकड़े आदि होते हैं। इस कचरे का उचित तरीके से निपटारा नहीं किया जाए तो इसमें दुर्गन्ध उठती है । प्रायः इसे खुले स्थान पर फेंक दिया जाता है जिससे भूमि प्रदूषण होता है ।
(5) नगरपालिका कचरा (Municipal Waste) — इस कचरे में वाहित मल, सड़े-गले पदार्थ (सब्जी, फल, मांस) उद्योगों का कूड़ा, पशुओं का गोबर, उत्सर्जित पदार्थ, नालों व नालियों का कीचड़, गाद आदि शामिल होते हैं। मरे हुए जानवरों, टूटे कांच के टुकड़े, प्लास्टिक की थैलियाँ व थैले आदि अनेक पदार्थ होते हैं। इस कचरे को शहर से बाहर किसी खुले स्थान पर डाल दिया जाता है और खुला छोड़ दिया जाता है। इससे दुर्गन्ध उठती रहती है और भूमि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है ।
(6) नाभिकीय अपशिष्ट (Nuclear Wastes) – नाभिकीय संयंत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ और नाभिकीय परीक्षणों से उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थ मृदा में मिल जाते हैं। रेडियम, थोरियम, यूरेनियम, प्लूटोनियम आदि रेडियोधर्मी पदार्थ मृदा में मिलकर चिरकालीन प्रभाव (Longterm Effects) उत्पन्न करते हैं ।
(7) वन विनाश (Deforestation) – वृक्षों की जड़ें के कणों को बाँधे रखती हैं और मृदा अपरदन (Soil Erosion) रोकती हैं। पिछले कुछ दशकों में बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई की गई है, जिससे वायु एवं जल द्वारा होने वाले मृदा – अपरदन में वृद्धि हुई है और लाखों हैक्टेयर भूमि कृषि कार्यों के लिए अनुपयुक्त हो गई है।
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