वन – पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए ।
वन – पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर— वन पारितंत्र के प्रकार (Types of Forest Ecosystem)– सम्पूर्ण विश्व में सामान्यत: निम्नलिखित प्रकार के वन पारितंत्र पाए जाते हैं—
(1) टैगा या उत्तरी कोनीफर वन (Taiga or North Coniferous Forest) — यह प्रदेश पूर्व से पश्चिम तक उत्तरी अमेरिका साइबेरिया के रूप में टुण्ड्रा प्रदेश के दक्षिण में स्थित है। यहाँ का तापमान शरद ऋतु में औसतन 6 डिग्री सेण्टीग्रेड तथा ग्रीष्म ऋतु में 2 डिग्री सेण्टीग्रेड तक रहता है। यहाँ की औसत वर्षा 10 से 35 सेमी. होती है। पाइन, फर, सीडार, हेमलॉक इत्यादि प्रमुख वनस्पतियाँ हैं। इन वनों में कीट वर्ग के जन्तु प्रमुखता से पाए जाते हैं। इसके अलावा भालू, भेड़िया, लोमड़ी, घोड़ा, हिरण, गिलहरी, ग्राउस क्रास बिल्स इत्यादि कशेरुकी जन्तु भी इस क्षेत्र में पाए जाते हैं।
(2) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन (Tropical Rain Forest ) — इस वन के अन्तर्गत भूमध्य रेखा के समीप वाले भूभाग; जैसे—दक्षिणी अमेरिका में अमेजन नदी घाटी, मध्य अफ्रीका के कांगो नदी की घाटी, ओरनिको तथा जेम्बेसी नदी की घाटियाँ हैं। भारत में पश्चिमी घाट, मलाया, बोर्नियो, न्यूगाइना, पूर्व इण्डीज तथा मध्य अमेरिका के क्षेत्र आते हैं। वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक होती है। इन वनों में वनस्पतियाँ इतनी अधिक होती हैं कि लगभग एक एकड़ भूमि में करीब 200 पादप वृक्ष जातियों को देखा जा सकता है। इस वन की वनस्पति में बड़े-बड़े पत्तों वाले विशालकाय सदाबहार वृक्ष होते हैं, जिन पर लताएँ तथा कठलताएँ (Lianas) चढ़ी होती हैं, जिनके कारण प्रकाश भूमि तक नहीं पहुँच पाता है। हमेशा वर्षा होने के कारण यहाँ नमी एवं सघन होने के कारण अन्धेरा रहता है । यहाँ तक कि इस वन में वायु भी स्वच्छन्द होकर नहीं बह सकती है। अत्यधिक उत्पादक होने के कारण पौधे (Flora) और प्राणी जाति (Fauma) बहुत अधिक संख्या और रूपों में पाए जाते हैं। कृषि, स्थलीय जोंक, घोंघे, बिच्छू, दीमक, चींटियाँ, सेण्टीपीड तथा मिलीपीड अधिक संख्या में पाए जाने वाले अकशेरूकी है। मेढ़क, छिपकली, विभिन्न प्रकार के पक्षी, जंगली सूअर, हिरण, भालू, हाथी, बाघ, काले लंगूर, गोरिल्ला, हिप्पोपोटेमस, लियोपार्ड इत्यादि इस क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख कशेरूकी हैं ।
(3) शीतोष्ण पर्णपाती वन (Temperate Deciduous Forest ) — इस तरह के वनों में वर्षा अधिक एवं समान रूप से होती है । औसत वर्षा 75 से 150 सेमी. तक होती है। यहाँ पर ग्रीष्म एवं शीत ऋतु स्पष्ट होती है तथा तापमान सामान्य रहता है । इसके अन्तर्गत उत्तरी अमेरिका, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया व दक्षिणी अमेरिका भाग आते हैं। इस वन में बड़े तथा लम्बे बहुस्तरीय वृक्ष, झाड़ियाँ तथा घास पाई जाती हैं। ओक, मैपल, पीच, हिकरी इत्यादि इस क्षेत्र की प्रमुख वनस्पतियाँ हैं। अकशेरूकी (Invertebrate) जन्तुओं में सेलामेण्डर, मेढ़क, कछुआ, छिपकली, साँप, गिलहरी, शशक, भालू, लोमड़ी, चील, कठफोड़ा, सूअर इत्यादि मुख्य रूप से पाए जाते हैं।
(4) उष्ण कटिबंधीय सवाना (Tropical Savannah) – गर्म जलवायु वाले मैदानों में इस तरह के वन पाए जाते हैं। जिसमें कि लम्बी घासें तथा कहीं-कहीं पर वृक्ष भी पाए जाते हैं। ऐसे वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ कि वार्षिक वर्षा का औसत 100-150 सेमी. तक होता है । सवाना मुख्यतः दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका में पाए जाते हैं। वर्षा ऋतु के बाद यहाँ का मौसम शुष्क हो जाता है। अतः यहाँ के पौधे तथा जन्तु शुष्क वातावरण के लिए अनुकूलित होते हैं। अफ्रीका के सवाना वनों में एण्टीलोप, हाथी, जेब्रा तथा अन्य खुर वाले जन्तु पाए जाते हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया के सवाना में कंगारूओं की बहुलता होती है।
(5) भूमध्य सागरीय स्क्रब वन (Mediterranean Scrub Forest) – इसे चप्पराल (Chapparal) वन भी कहते हैं। ये समुद्री किनारों; जैसे—उत्तरी अमेरिका, चिली, दक्षिणी अफ्रीका तथा दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं। यहाँ पर सीमित शीतकालीन वर्षा होती है। बाकी मौसम सूखा रहता है। समुद्री ठण्डी तथा नम हवाओं के कारण यहाँ का तापमान परिवर्तित होता रहता है। यहाँ पर चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वृक्ष पाए जाते हैं। यहाँ पर अग्निरोधी रेजिनयुक्त पौधे एवं मरुभूमि के लिए अनुकूलित जन्तु पाए जाते हैं।
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