विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2011 परिचय दीजिए।

विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2011 परिचय दीजिए।

उत्तर — विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2011— वर्तमान विकलांगता अधिनियम में कहीं भी विकलांग व्यक्तियों की समानता तथा पक्षपातहीनता के अधिकार की अनिवार्यता का उल्लेख नहीं है तथा केवल कुछ विकलांगताग्रसितों को चयन के आधार पर कुछ अधिकारों की मान्यता है। अतः यह प्रस्ताव है कि वर्तमान विकलांग कानूनों को ऐसे विस्तृत कानूनों से बदला जाए कि जो सभी व्यक्तियों के सभी अधिकारों को मान्यता देते हों ।
इसके लिए, यह प्रस्तावित है कि नए विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम में—
(1) घर में पड़े रहने वाले विकलांग व्यक्तियों, संस्थानों में विकलांगताग्रसितों तथा अत्यधिक सहायता की आवश्यकता सहित व्यक्तियों के साथ भी विशेष कार्यक्रम हस्तक्षेप अनिवार्य रूप से लागू हो ।
(2) विकलांग महिलाओं द्वारा सामना की जा रही बहुत सारी एवं बदतर भेदभाव को ध्यान में रखते हुए लैंगिक दृष्टिकोण अधिकारों तथा कार्यक्रम हस्तक्षेप दोनों में आरम्भ किया जाय।
(3) एक विकलांगताधिकार अभिकरण की स्थापना हो, जो विकलांगताग्रसित व्यक्तियों के साथ सक्रिय भागीदारी करते हुए विकलांगता नीति और कानूनों के निर्माण की सुविधा उपलब्ध करवाए, विकलांग व्यक्तियों के साथ भेदभाव बरतने वाले संरचनाओं को हटाए तथा इस अधिनियम के अन्तर्गत जारी किए गए मानकों तथा मार्गदर्शन के समुचित अनुपालन का नियमन करे ताकि इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त सभी अधिकारों के संरक्षण, उन्नयन तथा उपभोग की गारन्टी सुनिश्चित हो सके।
(4) सभी विकलांग व्यक्तियों को समानता तथा पक्षपातहीनता की गारण्टी मिले।
(5) सभी विकलांग व्यक्तियों की कानूनी क्षमता को मान्यता दी जाए तथा ऐसे कानूनी क्षमता के व्यवहार जहाँ कहीं भी आवश्यक हों सहयोग दिया जाए।
(6) विकलांग बच्चों की विशिष्ट दुर्बलता को मान्यता देना और यह सुनिश्चित करना कि उनके साथ अन्य बच्चों जैसा ही समानता के आधार पर व्यवहार हो ।
(7) गलत समझे जाने वाले कार्यों तथा आचरण के विरुद्ध नागरिक एवं आपराधिक मामलों को विनिर्देशित करें।
प्रस्तावन|  — भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता (व्यक्तिगत), समानता तथा बन्धुत्व सुनिश्चित करता है तथा विकलांगताग्रसित नागरिक भी भारत की मानवीय विविधता के एक अनिवार्य अंग हैं।
विकलांगताग्रसित व्यक्तियों को निम्न अधिकार प्राप्त है—
(i) पूर्ण सहभागिता एवं समावेश सहित सत्यनिष्ठा, गरिमा तथा सम्मान का।
(ii) मानवीय विविधता का उपभोग, मानवीय अन्तनिर्भरता का।
 (iii) शर्मिन्दगी, अपशब्द अथवा अन्य किसी प्रकार से अशक्तिकरण तथा रूढ़िबद्धता से मुक्त जीवनयापन का।
(iv) अन्य के साथ समानता के आधार पर सभी नागरिक, राजनीतिक एवं सामाजिक-आर्थिक अधिकार जिनकी गारण्टी अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय कानूनों में दी गयी हैं, का उपभोगकर्ता होना।
भारतीय संघ ने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु 63वें वर्ष में “विकलांग व्यक्तियों के अधिकार का अधिनियम” पारित किया गया है। इस अधिनियम से सम्बन्धित प्रमुख तथ्यों का विवरण निम्नलिखित हैं—
(1) जागृति का प्रसार—
(i) इस विधि में मान्यता प्राप्त अधिकारों का सम्मान, संरक्षण तथा प्रोन्नति सुनिश्चित करने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि राज्य एवं नागरिक समाज दोनों ही को यह समझ होनी चाहिए कि विकलांग व्यक्तियों की योग्यता तथा योगदान को मान्यता प्रदान करें।
(ii) सक्षम सरकार और विकलांग अधिकार अभिकरण समुचित सूचना अभियानों तथा सुग्राह्यता कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे जो विकलांगताग्रसित व्यक्तियों विशेषकर विकलांग महिलाओं तथा बच्चों के विरुद्ध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भेदभाव न हो इसके प्रति जागरूकता का प्रसार करेंगे ।
(iii) विधान में विकसित एवं व्यवहृत शब्दावली को सभी राजकीय संचारों, लेन-देन, नियमों, कानूनों, अधिसूचनाओं एवं आदेशों में लागू करेंगे ।
(iv) (अ) विकलांगताग्रसित व्यक्ति द्वारा पारिवारिक जीवन सम्बन्धित सभी विषयों, सम्बन्धों, एक परिवार की स्थापना तथा बच्चों के पालन-पोषण जैसे निर्णयों के प्रति जागरूकता का सृजन एवं सम्मान करना ।
(ब) स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय स्तर पर उन्मुखीकरण एवं सुग्राही कार्यक्रमों का आयोजन करना, विकलांगता की मानवीय परिस्थितियों तथा विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर प्रशिक्षण तथा पेशेवर प्रशिक्षक उपलब्ध करवाना।
(स) समावेशी, सहनशीलता, सहानुभूति तथा विविधता के प्रति सम्मान के मूल्यों को प्रोन्नत करना, विकलांगों के जीवन के मूल्य के प्रति विशेष ध्यान देना ।
(द) विकलांग के जीवन के मूल्य को मान्यता देना ।
(2) पहुँच—(a) विकलांग व्यक्तियों के अधिकार पर समझौते के अनुच्छेद-9 तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 तथा 21 के समर्थन में यह मान्यता दी जाती है कि विकलांगताग्रसित व्यक्तियों को अन्य के साथ समानता के आधार पर भौतिक वातावरण, परिवहन, सूचना तथा संचार, तकनीक सहित और सिस्टम तथा अन्य सुविधाओं तथा सेवाओं जिन्हें जनता के उपयोग के लिए ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सेवा हेतु उपलब्ध करवाया गया है, इन विधाओं तक ‘पहुँच’ की प्राप्ति होगी।
(b) सेवाओं की प्राप्ति—
(i) सभी सक्षम सरकार तथा प्रतिष्ठान यह सुनिश्चित करेंगे कि सामान्य जनता को उपलब्ध सेवा तथा सुविधाएँ समानता के आधार पर विकलांगों को भी उनकी आवश्यकतानुसार प्राप्त हों।
(ii) सभी सक्षम सरकारें सुनिश्चित करेंगी कि जनता की प्रतिक्रिया के लिए की गयी घोषणाएँ सभी विकलांग व्यक्तियों तक पहुँचे। इन घोषणाओं में— आपूर्ति सम्बन्धी घोषणाओं, रोजगार, सार्वजनिक स्वास्थ्य, आपदा हेतु तैयारी आदि सम्मिलित हो सकते हैं।
( 3 ) मानवीय संसाधन का विकास—
(i) सक्षम सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि इस अधिनियम में दिए गए सामाजिक, आर्थिक तथा नागरिक अधिकारों का विधिवत क्रियान्वयन हो तथा इसके लिए मानवीय संसाधन के विकास का कार्य हाथ में लेंगे ताकि यह उपलब्ध सेवाओं का प्रावधान करवाए जिनमें सम्मिलित हैं वर्तमान कर्मचारियों को सुग्राही बनाना तथा ऐसे कार्यक्रम का सृजन करना जो विकलांगता के प्रति मित्रवत् हो ।
(ii) (अ) स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरा मेडिकल कर्मचारियों, समाज कल्याण पदाधिकारियों, ग्रामीण विकास पदाधिकारियों, आशा कार्यकर्त्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं, इन्जीनियरों, भवन निर्माताओं, अन्य पेशेवरों तथा सामुदायिक कार्यकर्त्ताओं के लिए विकलांगता को एक अंश के रूप में सम्मिलित करना।
(ब) देख-रेख सेवा प्रदाताओं और विकलांगताग्रसित व्यक्ति के लिए स्वतंत्र प्रशिक्षण ताकि आपसी योगदान एवं सम्मान के आधार पर सामुदायिक सम्बन्ध का निर्माण हो सके।
(स) विकलांगताग्रसित व्यक्तियों के खेलकूद की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए स्पोर्ट्स शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करना ।
(4) समानता एवं भेदभावहीनता का अधिकार—
(i) कानून के समक्ष सभी निःशक्तता ग्रसित व्यक्ति एक समान हैं तथा किसी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भेदभाव के कानून का समान संरक्षण और समान लाभ पाने के अधिकारी हैं।
(ii) निःशक्तताग्रसित किसी भी व्यक्ति के साथ प्रतिबंध के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
(5) विकलांगताग्रसित महिलाएँ और लड़कियाँ—
(i) सक्षम सरकार तथा प्रतिष्ठान सभी उपयुक्त उपाय, निर्माण प्रक्रिया सहित, लैंगिक संवेदनशील कार्यक्रमों तथा योजनाओं का विस्तारीकरण तथा क्रियान्वयन करेंगे ताकि सभी विकलांग महिलाओं और लड़कियों को सभी अधिकारों का पूर्ण एवं समान उपभोग सुनिश्चित हो ।
(ii) विकलांग महिलाओं तथा लड़कियों की शिक्षा का प्रसार—
(अ) विकलांग लड़कियों और महिलाओं को लिंग और विकलांगता के आधार पर सामान्य शिक्षा प्रणाली से वंचित नहीं किया जा सकता।
(ब) सक्षम सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपयुक्त उपाय करेगी जो कि सभी विकलांग लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा प्रणाली तक बिना किसी भेदभाव के अन्य के साथ समानता के आधार पर सभी स्तरों में पहुँच हो ।
(iii) विकलांगताग्रसित महिलाओं और लड़कियों को कार्य एवं नियोजन का अधिकार—
(अ) किसी भी विकलांगताग्रसित महिला को किसी भी प्रतिष्ठान में नियोजन की पूरी अवधि के दौरान नियोजन, पदोन्नति तथा अन्य सम्बन्धित मामलों में भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े।
(ब) सक्षम सरकार सभी प्रणाली तथा उपयुक्त उपाय योजनाओं और कार्यालयों की निर्माण प्रक्रिया सहित सुनिश्चित करेगी ताकि विकलांग महिलाओं को नियोजन के अवसरों की प्राप्ति अन्य के साथ समानता के आधार पर हो ।
(6)  निजता का अधिकार—
(अ) विकलांग व्यक्तियों को ऐसे हस्तक्षेप अथवा आक्रमण से विधि सम्मत संरक्षण का अधिकार प्राप्त है।
(ब) ऐसे संरक्षण सभी स्थलों सहित अन्य के साथ आवास, संस्थान अथवा अन्य किसी प्रकार के रहने की व्यवस्था सम्मिलित होगी तथा उन सभी क्षेत्रों तक विस्तारित होगी जिसमें सम्मिलितं होंगे मीडिया, रोजगार तथा स्वास्थ्य सेवाएँ ।
(7) विकलांगताग्रसित व्यक्तियों की परिभाषा और कार्यक्रमबद्ध अधिकार—
(i) अधिनियम के इस भाग के लिए विकलांगताग्रसित व्यक्ति के कार्यक्रमबद्ध अधिकारों का अर्थ होगा— स्वपरायणता विस्तार की स्थितियाँ, नेत्रहीनता, प्रमस्तिष्कघात, श्रवणनेत्रहीन, डिसलेक्सीया, कम दिखाई देना, हेमोफीलिया, थैलीसीमीया, कुष्ठ रोग ग्रंसित, श्रवण – विकृति, वाणी विकृति, सीखने की विशेष अयोग्यता, लोकोमोटर विकृति, मानसिक बीमारी, क्रोनिक न्यूरोलॉजीकल स्थिति, मानसिक मंदता, माँसपेशियों में डिस्ट्रॉफी, बहु स्लेरोसीस, बहुअशक्तता जिसके विविध बाधाओं के साथ अन्तःक्रिया के कारण समाज में पूर्ण एवं प्रभावी, अन्य के साथ समानता के आधार पर सहभागिता करने में रोक लगे, बशर्ते कि केन्द्र सरकार अध्यादेश के माध्यम से अन्य किसी विकृति को उपर्युक्त सूची में इस उद्देश्य से गठित विशेषज्ञ कमेटी की अनुशंसा पर विषय तथा अनुभवी विशेषज्ञों के प्रत्येक 5 वर्षों की समीक्षा के माध्यम से समान प्रतिनिधित्व के आधार पर सम्मिलित न करें।
(ii) केन्द्र सरकार अनुभवी विशेषज्ञों के प्रतिनिधित्व में एक विशेषज्ञ समूह का गठन करेगी ताकि एक उपयुक्त सामाजिक-मेडिकल पैमाने का निर्धारण विकलांग व्यक्तियों की पहचान के लिए हो । विशेषज्ञ समूह की नियुक्ति तथा इसकी रिपोर्ट के समर्पण को इस प्रकार नियोजित किया जाना चाहिए कि अधिनियम के लागू होने के साथ सामाजिक मेडिकल पैमाना उपलब्ध हो ।
(iii) इस विशेष अधिकार के निर्माण में सक्षम सरकार विकृति की गम्भीरता को उपयुक्त महत्त्व देंगे ताकि व्यक्ति द्वारा अनुभव की जा रही विशिष्ट विकृति के पैमाने का निर्धारण किया जा सके।
( 8 ) विकलांगताग्रसित बच्चे—
(i) विकलांग बच्चों को वही मानवीय अधिकार तथा बुनियादी स्वतंत्रताएँ मिलेंगी जो अन्य बच्चों को प्राप्त हैं।
(ii) सभी विकलांग बच्चों को सभी प्रकार की स्थितियों में गृह, परिवार, स्कूल, संस्थान तथा किशोर न्याय प्रणाली में सभी प्रकार के शारीरिक या मानसिक हिंसा, चोट अथवा दुर्व्यवहार, अवहेलना युक्त व्यवहार, दुर्व्यवहार अथवा उत्पीड़न सभी स्थितियों में यौन दुर्व्यवहार के संरक्षण का अधिकार है।
( 9 ) स्वतंत्रतापूर्वक तथा समुदाय में रहने का अधिकार–
(1) विकलांगताग्रसित सभी व्यक्तियों को स्वतंत्रतापूर्वक तथा समुदाय में अन्य के साथ समानता के आधार पर रहने का अधिकार होगा ताकि वे प्रगति तथा विकास कर सकें और एक सार्थक जीवन व्यतीत कर सकें ।
(2) सक्षम सरकार पर्याप्त रूप से स्वतंत्र तथा सामुदायिक आवास के वातावरण की स्थापना विकलांग व्यक्तियों की आयु तथा लिंग की आवश्यकता पर ध्यान रखते हुए करेगी।
(10)  सम्पूर्णता का अधिकार—
(i) विकलांगताग्रसित व्यक्तियों को विकलांग व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान के सम्मान तथा ऐसे व्यक्ति की तरह सुरक्षापूर्वक कार्य सम्पन्न करने का अधिकार है।
(ii) प्रत्येक विकलांग व्यक्ति को अपने शारीरिक तथा मानसिक पूर्णता का दूसरों के साथ समानता के आधार पर सम्मान पाने का अधिकार है
(iii) सम्पूर्णता के अधिकार में स्वयं की प्रतिष्ठा का अधिकार तथा समाज में इसकी सराहना सम्मिलित है तथा ऐसे सम्बोधन जो विकलांग व्यक्ति की विकृति की पहचान है, की दृष्टि से उनका परित्याग करे और सम्मानपूर्वक संबोधन का व्यवहार करें।
(11) नियामक और निर्णायक प्राधिकरण—
(i) सभी विकलांगताग्रसित व्यक्तियों द्वारा सभी मानवीय अधिकारों को प्रोन्नत, संरक्षण तथा बुनियादी स्वतंत्रताओं द्वारा उपभोग सुनिश्चित करने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी जिसे “विकलांगता अधिकार प्राधिकरण” कहेंगे ।
(ii) “विकलांगता अधिकार प्राधिकरण” इस उल्लेखित नाम से कॉर्पोरेट निकाय होगा, निरन्तर उत्तराधिकार और एक सामान्य मोहर सहित जिसके अधिकारों में, इस अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत, परिसम्पत्ति अधिग्रहण करने, संभालने चल एवं अचल दोनों को तथा संविदा करने, मुकदमा दायर करने तथा मुकदमा दायर होने पर किसी अन्य पक्ष द्वारा मुकदमा लड़ने का अधिकार होगा ।
(iii) विकलांगता अधिकार प्राधिकरण का मुख्य कार्यालय तथा स्थल नई दिल्ली होगी।
(iv) विकलांगता अधिकार प्राधिकरण में एक अध्यक्ष तथा अधिशासी मंडल होंगे।
(v) विकलांगता अधिकार प्राधिकरण भारत के अन्य स्थानों पर भी कार्यालय स्थापित कर सकता है।
( 12 ) उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और हिंसा से संरक्षण—
(i) प्रत्येक विकलांग व्यक्ति को सभी प्रकार के उत्पीड़न, दुर्व्यवहार तथा हिंसा सहित शारीरिक, मानसिक, यौन और भावनात्मक उत्पीड़न आदि सभी प्रकार के उत्पीड़न से . संरक्षण पाने का अधिकार किसी भी स्थान पर होगा जहाँ विकलांगताग्रसित व्यक्ति स्थायी अथवा अस्थायी तौर पर निवास करते हैं।
(ii) केन्द्र तथा राज्य सरकार समुचित प्रशासनिक, सामाजिक, .शैक्षणिक तथा अन्य विकलांगों को घर के अन्दर और बाहर दोनों में ही सभी प्रकार के उत्पीड़न, हिंसा, दुर्व्यवहार से संरक्षण देंगे ।
(iii) विकलांग व्यक्ति के साथ कार्य कर रहे किसी संगठन अथवा व्यक्ति जिसे ऐसा आभास हो कि किसी विकलांग व्यक्ति के विरुद्ध उत्पीड़न, हिंसा तथा दुर्व्यवहार किया गया है अथवा किया जा रहा है अथवा किए जाने की सम्भावना है, इसकी सूचना पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट जिसकी सीमा क्षेत्र में घटना घटित हुई हो या घटित होने की सम्भावना है अथवा राज्य विकलांगता न्यायालय को इसे रोकने के लिए सूचना दे तथा इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाय तथा यदि घटना घटित नहीं हुई हो तो इसे घटित होने से रोका जाय ।
(13) राष्ट्रीय निःशक्तता आयुक्त का न्यायालय—
(i) केन्द्र सरकार राष्ट्रीय निःशक्तता आयुक्त के एक न्यायालय की स्थापना करेगी ।
(ii) राष्ट्रीय नि:शक्तता आयुक्त के न्यायालय के तीन पूर्णकालिक सदस्य होंगे। साथ ही—
(अ) एक अध्यक्ष न्यायाधीश कोई ऐसा होगा जिसे उच्चतम न्यायालय या न्यायाधीश होने की योग्यता प्राप्त होगी ।
(ब) दो ऐसे व्यक्ति जिन्हें विकलांगता कानूनों की जानकारी होगी तथा विकलांग व्यक्तियों के मानवीय अधिकारों पर विशेषज्ञता तथा अनुभव होगा ।
(iii) इस धारा के अन्तर्गत नियुक्ति एक कमेटी की अनुशंसा प्राप्त होने पर होगी जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के एक वरीय न्यायाधीश तथा विकलांगता कानून के एक विशेषज्ञ होंगे ।
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