विद्यालय तत्परता से क्या अभिप्राय है ? विद्यालय तत्परता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
विद्यालय तत्परता से क्या अभिप्राय है ? विद्यालय तत्परता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विद्यालय तत्परता पर टिप्पणी लिखिये ।
अथवा
अधिगम कठिनाइयों को सम्बोधित करने के लिए विद्यालय तत्परता का वर्णन कीजिये ।
उत्तर— विद्यालय तत्परता का अर्थ – विद्यालय तत्परता का अभिप्राय बालक का घर से निकल कर विद्यालय आगमन से है। इसके अन्तर्गत बालक को पारिवारिक परिवेश से बाहर निकालकर विद्यालयप्रवेश के लिए तैयार किया जाता है। विद्यालय में प्रवेश के उपरान्त बालक के भावनात्मक, बौद्धिक एवं मानसिक विकास को सुनिश्चित करते हुए बालक व उसके अभिभावकों द्वारा आहूत की गई तत्परता को सही सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है और बालक को विभिन्न कौशलों को सीखने के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। सैद्धान्तिक रूप से यह जितनी सरल दिखती है, व्यावहारिक रूप से यह उतनी ही जटिल है। यह दो भागों व तथ्यों का मेल हैअधिगम के प्रति तत्परता एवं विद्यालय जाने के प्रति तत्परता । इस सम्बन्ध में पियाजे के सिद्धान्त को व्यावहारिक रूप से प्रयोग में लाया जाता है; इसके अन्तर्गत बालक को उनके जैविक विकास से संबंधित ज्ञान प्राप्त होता है एवं विद्यालय में दिए गए अनुदेशन से लाभ पहुँचता है। पियाजे का मानना है कि हर बालक के शारीरिक एवं मानसिक विकास की गति भिन्न-भिन्न होती है। बालक की आंतरिक समयसारिणी उसके बाह्य विकास को प्रभावित करती है। मे का मानना है, “विद्यालय तत्परता वह गुण है जो कि बच्चे को सामान्य विद्यालय पाठ्यक्रम में सफलतापूर्वक भाग लेने में सहायता करता है।” विद्यालय के लिए तैयार होना मात्र शारीरिक अवस्था नहीं है, बल्कि मानसिक रूप से तैयार होना भी है। विद्यालय तत्परता अधिगम कठिनाइयों को दूर करने में प्रभावी भूमिका निभाती है।
विद्यालय तत्परता को प्रभावित करने वाले कारक—विद्यालय तत्परता कई बाह्य तत्त्वों से प्रभावित होती है ये तत्त्व अधिगम कठिनाइयों को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं जिनमें कुछ मुख्य तत्त्वों का उल्लेख हम निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं—
(1) कक्षा का वातावरण – कक्षा का वातावरण बालक के उचित समावेशन को बुरी तरह प्रभावित करता है। कई बार बालक को कक्षा में अपनी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति के अनुरूप उपयोगी वातावरण नहीं मिल पाता तो इससे सफल समावेशन में बाधा पहुँचती है और बालक की विद्यालय तत्परता प्रभावित होती है साथ ही अधिगम कठिनाइयाँ भी पैदा होती है। इसके लिए हमें कक्षा के वातावरण को उनके अनुकूल बनाने का प्रयास करना चाहिए।
(2) बालक का स्वास्थ्य – बालक का स्वास्थ्य विद्यालय तत्परता में बाधा होता है। चाहते हुए भी बाधित बालक कमजोर स्वास्थ्य के चलते विद्यालय नहीं जा सकता क्योंकि ऐसी स्थिति में बालक विद्यालय जाकर आरामदायक महसूस नहीं करता और उचित अधिगम में भी बाधा पहुँचती है। ऐसी अवस्था में बालक के अभिभावक बालक को विद्यालय नहीं भेजना चाहते हैं । यह अवस्था प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों तरह से बालक की विद्यालय के प्रति तत्परता को प्रभावित करता है । इसके निवारण के लिए अभिभावकों को चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए ।
(3) विद्यालय में दी जाने वाली सुविधाएँ विद्यालय तत्परता को प्रभावित करती हैं। सुविधाओं का अभाव बालक एवं अभिभावकों को विद्यालय तत्परता में हतोत्साहित करता है क्योंकि उन्हें लगता है कि विद्यालय गमन का बालक को कोई विशेष लाभ होने वाला नहीं है । बाधित बालक के लिए उसके बाधा वाले क्षेत्र के अनुरूप सुविधा की अनुपलब्धता तत्परता को बाधा पहुँचाती है । इसके लिए आवश्यक है कि विद्यालय बाधित बालकों को सभी आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाएँ ।
(4) पारिवारिक पृष्ठभूमि – बाधित बालकों के विद्यालय जाने में परिवार अहम् भूमिका निभा सकता है। परिवार बालक को भावनात्मक संबल देते हुए अभिप्रेरित करता है। परिवार के सदस्य शिक्षा के प्रति बेहतरीन रवैया अपना कर बालक को आत्मप्रेरित होने में भी मदद करते हैं। उन्हें अपने लिए भविष्य में कुछ उम्मीदें दिखाई देने लगती हैं और उसे शिक्षा पाने की प्रेरणा मिलती है। परिवार की ओर से मिलने वाला भावनात्मक, नैतिक एवं मानसिक सहयोग बालक के लिए रचनात्मक और मील का पत्थर साबित होता है। एक बार बालक जब विद्यालय जाना शुरू कर देता है तो वह वहाँ पर अन्य बालकों के साथ रहता है और उस परिवेश में खुद को समायोजित कर लेता है। इससे बालक को अपनी अधिगम कठिनाइयों को दूर करने में सहायता मिलती है।
(5) सामाजिक पृष्ठभूमि-बालक की विद्यालय तत्परता को प्रभावित करने में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक उसकी सामाजिक पृष्ठभूमि है। बालक की बाधिता समय बीतने के साथ पता चलती है। छः से आठ वर्ष तक बालक की बाधिता पूर्णरूप से सामने आ जाती है; यह बाधिता व्यक्ति के सामाजिक पृष्ठभूमि का दुष्परिणाम होती है, जैसे—बालक के परिवार का गरीब होना, स्वच्छ खान-पान का अभाव होना, गर्भवती महिलाओं का कुपोषण का शिकार होना आदि।
इन सभी सुविधाओं का अभाव बालक को विद्यालय तत्परता में बाधा पहुँचाने के साथ-साथ अधिगम कठिनाइयों को भी उत्पन्न करता है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों से ऐसे बालकों के लिए उचित माहौल प्रदान करने में मदद मिलती है।
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