विभिन्नता को परिभाषित करें। जननिक विभिन्नता एवं कायिक विभिन्नता में विभेद करें। जीवों में आनुवंशिक विभिन्नताओं का संचयन कैसे होता है ?

विभिन्नता को परिभाषित करें। जननिक विभिन्नता एवं कायिक विभिन्नता में विभेद करें। जीवों में आनुवंशिक विभिन्नताओं का संचयन कैसे होता है ?

उत्तर ⇒ जीवों के ऐसे गुण जो उन्हें अपने जनकों अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता दर्शाते हैं, विभिन्नता कहलाते हैं। जननिक विभिन्नता एवं कायिक विभिन्नता में निम्न अंतर हैं -जनन कोशिकाओं में होनेवाले परिवर्तन के कारण होनेवाली विभिन्नता, जननिक विभिन्नता या आनुवंशिक विभिन्नता कहलाती है। ऐसी विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होती है। वैसी विभिन्नताएँ जो गुणसूत्र सर जीन के गुणों में विभिन्नता के कारण उत्पन्न नहीं होती है वरन अन्य कई कारणों जैसे जलवायु एवं वातावरण का प्रभाव, उपलब्ध भोजन के प्रकार, अन्य उपस्थित जीवों के साथ परस्पर व्यवहार आदि के कारण उत्पन्न हो, कायिक विभिन्नताएँ कहलाती है। जीवों में आनुवंशिक विभिन्नताओं का संचयन जीन की प्रतिलिपि से बनती है।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *