विविध निर्योग्य हेतु आई. सी. टी. की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

विविध निर्योग्य हेतु आई. सी. टी. की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

उत्तर – विविध निर्योग्य हेतु आई. सी. टी. की उपयोगिता निम्न प्रकार हैं— तकनीकी उन्नति के कारण ही बाधित बालकों की जीवन एवं अधिगम सम्बन्धी कई समस्याओं का निवारण सम्भव हो पाया है। इसके लिए बाधित बालक आई. सी. टी. एवं उससे सम्बन्धित विभिन्न उपकरणों का प्रयोग कर रहे हैं। जिनका विवरण निम्न प्रकार हैं—
(A) समावेशी शिक्षा में आई. सी. टी. – संयुक्त राष्ट्र समझौते की व्यक्तियों के अधिकारों से संबंधित धारा-24, शिक्षा में निर्योग्यताओं वाले बालकों के लिए व्यवस्था करती है कि निर्योग्यताओं के कारण किसी को शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। आई. सी. टी. ने सूचनाओं के केवल लिखित रूप में अथवा श्रव्यदृश्य रूप में ही नहीं, बल्कि अन्य रूपों में भी उपयोगकर्त्ता तक संचरण को प्रभावी व तीव्र बना दिया है। इसकी सहायता से ऑनलाइन लर्निंग, ई-लर्निंग, वर्चुअल यूनिवर्सिटी, ई-ऐज्यूकेशन, ई-जर्नल्स आदि संभव हो गये हैं।
ICT की विभिन्न श्रेणियाँ हैं जो समावेशी शिक्षा में मदद कर सकती हैं—
(i) सहायक तकनीक – यह तकनीक निर्योग्यता वाले बालक की क्रियात्मक क्षमता को बढ़ाने हेतु काम में ली जाती है। यह अधिगमकर्त्ता की व्यक्तिगत क्षमता में अभिवृद्धि करने के काम में ली जाती है।
(ii) अनुदेशन तकनीक – यह तकनीक अनुदेशक/शिक्षक की क्रियात्मक क्षमता को बढ़ाकर उसे विशिष्ट बालकों को पढ़ाने के लिए योजना बनाने में मदद करती है।
(iii) वैकल्पिक तकनीक – यह उन अधिगमकर्त्ताओं के सम्प्रेषण को विकसित करने में इलेक्ट्रिक या मानवीय तरीकों का उपयोग सिखाती है जिनमें शारीरिक अक्षमता, गंभीर निर्योग्यता या विभिन्न प्रकार की सम्प्रेषण निर्योग्यता (वाक् या भाषा संबंधी) हो। इस प्रकार के सम्प्रेषण में सूचना उच्च तकनीक (कम्प्यूटराइज्ड स्पीच सलेक्शन और ट्रांसमिशन, स्केनिंग आदि) का उपयोग होता है या फिर सामान्य तकनीक (पिक्चर कम्युनिकेशन बोर्ड, ब्लिस सिंबल्स, शिक्षण मशीन, इलेक्ट्रोनिक कम्युनिकेशन सामग्री, हाथ के इशारे, हेड स्टीक्स) आदि का प्रयोग होता है।
ICT के उपकरण यथा कम्प्यूटर, दृश्य माध्यम यथा टी.वी. या वीडियो इंस्ट्रक्शन और अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर आदि समावेशी शिक्षा में शिक्षक अनुदेशक के लिए विशेष आवश्यकताओं के बालकों की शिक्षा में अत्यन्त सहायक है।
(1) श्रवण संबंधी निर्योग्यताओं के निराकरण हेतु उपकरण—
हियरिंग ऐड – इनका उपयोग कान में आवाज के संवर्धन में किया जाता है। इनके मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं—कान के पीछे (BTE), कान के अन्दर (ITE) और कान के भीतर (ITC) इम्प्लान्ट किए हुए। इनकी सहायता से श्रवण समस्या वाले बालक अपनी जरूरत के अनुसार आवाज को धीरे या तेज कर सकते हैं ।
(i) कम्प्यूटर एवं वेब केम – कम्प्यूटर व वेब केम का उपयोग इंटरनेट की सहायता से कर श्रवण संबंधी समस्या वाले इसका उपयोग दूसरों के साथ बातचीत करने में कर सकते हैं। जिसमें वे सांकेतिक भाषा का प्रयोग कर सकते हैं ।
(ii) डिजीटल पेन – यह उपकरण हाथ से लिखी गई सामग्री को कम्प्यूटर में सुरक्षित कर देता है।
(iii) स्मार्ट बोर्ड – इंटरएक्टिव टच स्क्रीन युक्त स्मार्ट बोर्ड से सामग्री को प्रदर्शित किया जा सकता है। इससे अधिगमकर्त्ता स्वयं स्क्रीन को छूकर कम्प्यूटर को कन्ट्रोल कर सकता है। डिजीटल पेन से लिख सकता है व नोट्स सुरक्षित कर सकता है। इससे श्रवण संबंधी समस्या वाले बालकों को हर सामग्री आसानी से लिख कर बतायी जा सकती है।
(2) दृष्टि बाधिता के निराकरण हेतु उपकरण—
(i) जोज रीडर – यह उपकरण कम्प्यूटर स्क्रीन पर किसी भी शब्द पर कर्सर ले जाने पर जोर से बोल कर बताता है।
(ii) हेन्ड हेल्ड रीडर – यह डिजीटल कैमरा, पर्सनल डेटा असिस्टेन्ट और टेक्स्ट टू स्पीच कनवर्सन सॉफ्टवेयर का सम्मिश्रण है। इसे किसी मुद्रित सामग्री पर घुमाने पर यह उसे पढ़ कर सुनाता है और अपने अन्दर सुरक्षित रख कर कम्प्यूटर में भी स्थानान्तरित कर सकता है।
(iii) ब्रेल डिस्प्ले – दृष्टि संबंधी समस्याओं युक्त बालक आज ब्रेल भाषा न केवल पुस्तकों के रूप में बल्कि विशिष्ट उपकरणों पर भी पढ़ सकते हैं। ब्रेल डिवाइस वे उपकरण हैं, जो कम्प्यूटर स्क्रीन के किसी हिस्से पर जो प्रदर्शित हो रहा है, उसको ब्रेल लिपि में बदल कर उपयोगकर्त्ता को उपलब्ध कराता है ।
( 3 ) अधिगम संबंधी निर्योग्यताओं के निराकरण हेतु उपकरण—
(i) इंस्ट्रक्शनल सॉफ्टवेयर– इस प्रकार के कई प्रोग्राम मौजूद हैं जो विशिष्ट कौशल यथा लिखने या पढ़ने अथवा विषय विशेष के लिए बनाए जाते हैं। इनका उपयोग कर अधिगम संबंधी निर्योग्यताओं के बालक अपनी समस्या को कम कर सकते हैं।
(ii) स्पीच रिकॉग्निशन प्रोग्राम – इसका उपयोग वर्ड प्रोसेसर के साथ किया जाता है। इसमें वक्ता द्वारा माइक्रोफोन पर बोला जाता है, जो कम्प्यूटर स्क्रीन पर लिखित रूप से सामने आता है। इससे उच्चारण क्षमता को सुधारा जाता है।
(iii) टेप सी. डी. रिकॉर्डर – इसकी सहायता से वक्ता की बात को टेप में रिकॉर्ड कर अपनी सुविधा के हिसाब से बाद में सुना जा सकता है।
(iv) ऑप्टिकल करेक्टर रिकॉग्निशन – इसके द्वारा मुद्रित सामग्री को स्केन कर कम्प्यूटर में संग्रहीत किया जाता है जिसे स्पीच सिंथसिस या स्क्रीन रीडिंग सिस्टम द्वारा बोल कर सुनाया जाता है ।
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