विशिष्ट शिक्षा से क्या अभिप्राय है ?
विशिष्ट शिक्षा से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
विशिष्ट शिक्षा के अर्थ एवं प्रकृति की विवेचना कीजिये |
उत्तर – विशिष्ट शिक्षा का अर्थ-विशिष्ट बालक उन बालकों को कहते हैं जो सामान्य बालकों से शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में बहुत भिन्न होते हैं। इन बालकों की आवश्यकताएँ भी सामान्य बच्चों से भिन्न होती हैं। इन बालकों को दी जाने वाली शिक्षा को विशिष्ट शिक्षा कहते हैं। विशिष्ट शिक्षा विशेष रूप से तैयार किया गया एक शैक्षिक अनुदेशन है जिसमें विशेष शैक्षणिक गतिविधियों, विशेष पाठ्यक्रम और विशेष शिक्षक के द्वारा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षण अधिगम सुविधा उपलब्ध कराई जाती है ।
हल्लहन और कॉफमैन के अनुसार, “विशेष शिक्षा का अर्थ विशेष रूप से तैयार किए गए साधनों द्वारा विशिष्ट बच्चों को प्रशिक्षण देना है। इसके लिए विशिष्ट साधन, अध्यापन तकनीक, सामग्रियों और सुविधाओं की आवश्यकता होती है।”
कर्क तथा गैलर के अनुसार, “जब एक ही कक्षा के नवयुवक अद्वितीय रूप से भिन्न होते हैं तब अध्यापक के लिए उन्हें उनकी शैक्षिक योग्यता तक पहुँचाने में, बिना किसी सहायता के मदद करना मुश्किल हो जाता है। सामान्य मानक से जो बालक भिन्न होते हैं उनके लिए सहायत ही विशिष्ट शिक्षा कहलाता है।”
विशिष्ट शिक्षा की प्रकृति—
(1) विशेष शिक्षा की प्रकृति विशेष एवं विशिष्ट है क्योंकि इसमें विशिष्ट विद्यार्थियों को सिखाने के लिए विशेष अध्यापक, विशेष शिक्षण विधियाँ, विशेष शिक्षण सामग्री तथा विशेष अधिगम वातावरण की आवश्यकता होती है।
(2) विशेष शिक्षा, विशेष आवश्यकता वाले छात्रों की शिक्षा से सम्बन्धित है।
(3) यह प्रकृति से निदानात्मक है अर्थात् यह विशिष्ट बालकों की सामान्य बालकों से भिन्नता की मात्रा व प्रकृति की पहचान व निर्धारण करती है तथा उन्हें विशेष देखभाल तथा शिक्षा प्रदान करने के लिए एक या विभिन्न प्रकार की विशिष्टता में वर्गीकृत तथा नामित करती है ।
(4) यह लक्ष्य केन्द्रित होती है जिसमें बालक की आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देकर उसके अधिकतम समायोजन व उन्नति में सहायता दी जाती है।
(5) इसका लक्ष्य उद्देश्यपूर्ण शिक्षा प्रदान करना है जिससे विशिष्ट बालक के समायोजन व शिक्षा के मार्ग में होने वाली बाधाओं को कम तथा दूर किया जा सके ।
(6) विशेष शिक्षा विकासात्मक है। यह बालक की विशिष्टता को पहचान कर जीवनपर्यन्त उसे मार्गदर्शन देती है।
(7) विशेष शिक्षा अत्यधिक व्यक्तिगत होती है क्योंकि इसके द्वारा बालक विशेष की विशिष्टता या कमियों की उचित देखभाल की जाती है तथा उसकी क्षमताओं के अधिकतम विकास में सहायता दी जाती है।
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