‘विश्व वन्य जीव कोष’ पर एक निबन्ध लिखिये।
‘विश्व वन्य जीव कोष’ पर एक निबन्ध लिखिये।
उत्तर— विश्व वन्य जीव कोष (Wrold Wild Life Fund) — विश्व वन्य जीव कोष जिसे अब ‘प्रकृति के लिए विश्व व्यापक कोष’ (World Wild Life Fund for Nature) के नाम से जाना जाता है, इस क्षेत्र में सार्थक प्रयास कर रहा है। भारत में चलायी जा रही ‘बाघ परियोजना’ भी इसी संस्था द्वारा दिये गये धन से चल रही है। संस्था ने 130 देशों में वन्य जीवों तथा वनस्पतियों के लिए लगभग 4000 योजनाएँ बनाकर उन पर क्रियान्विति की है।
राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए समुचित प्रबन्ध किये जा रहे हैं फिर भी यह आवश्यक समझा जाता है कि इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जन-साधारण को भी साथ में जोड़ा जाये तथा वन्य जीवों के लिए जन रुचि संवर्धन के कार्यक्रमों का संचालन किया जाये ताकि इस विषय पर सफलताओं का प्रतिशत बढ़ाया जा सके । इसके लिए जहाँ एक ओर सरकार को भी इनकी उपयोगिता को समझते हुए महज अपने शौक के लिए इनका शिकार पूर्णतः बन्द कर देना चाहिए।
वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सरकार निम्न प्रयास कर रही हैं—
(1) वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wild Life Protection Ac,1972) — (I) वन्य जीवों के कल्याण के लिए सरकार ने वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 पारित किया जिसमें आवश्यकतानुसार सन् 1986 में तथा तथा सन् 1991 में संशोधन भी किये गये हैं।
(II) इससे पूर्व भी वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए निम्नांकित अधिनियम बनाये गये थे—
(i) मद्रास वन्य हाथी अधिनियम, 1873
(ii) अखिल भारतीय हाथी अधिनियम, 1879
(iii) बंगाल गैंडा संरक्षण अधिनियम, 1932
(iv)असम गैंडा संरक्षण अधिनियम, 1954
(2)भारतीय वन्य जीव बोर्ड की स्थापन (Establishment of Indian Board of Wild Life) – भारतीय वन्य जीव बोर्ड (IBWL) की स्थापना सन् 1952 में की गयी थी जिसका एक महत्त्वपूर्ण कार्य राष्ट्रीय उद्यानों तथा वन अभयारण्यों की स्थापना रहा है। 1991 में इस बोर्ड का पुनर्गठन किया गया तथा निम्नांकित कार्यों का पुनर्निर्धारण किया गया—
(i) वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों को सलाह देना ।
(ii) राष्ट्रीय उद्यान, वन अभयारण्य तथा प्राणी उद्यानों की देख-रेख सम्बन्धी सलाह और सुझाव देना ।
(iii) वन्य जीवों तथा उनसे निर्मित वस्तुओं के आयात के सम्बन्ध में सुझाव देना ।
(iv) वन्य जीवों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाना ।
(v) समय-समय पर वन्य जीवों की सुरक्षा व संरक्षण की स्थिति का अध्ययन करना आदि ।
(3) राष्ट्रीय उद्यान व वन अभयारण्यों की स्थापना (Establishment of National Parks and Wild Sancturies) – वन्य जीवों को समुचित सुरक्षा प्रदान करने तथा संरक्षण देने के लिये राष्ट्रीय उद्यान तथा वन अभयारण्य स्थापित किये जा रहे हैं जो इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं ।
वर्तमान में देश में कुल 75 राष्ट्रीय उद्यान तथा 421 वन अभयारण्य हैं जो कि 1,40,675.46 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं ।
(4) भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board of India) – जीव-जन्तुओं के कल्याण के लिए बनायी गयी यह संस्था एक सहायता प्राप्त स्वायत्त अनुदान संस्थान है जिसकी स्थापना वन पर्यावरण मंत्रालय के अधीन की गयी है। इस बोर्ड के निम्नांकित कार्य हैं—
(i) जीव-जन्तुओं की कल्याण योजनाओं की क्रियान्विति ।
(ii) वन्य जीवों पर होने वाले अत्याचारों पर रोक लगाना ।
(iii) वन्य जन्तु कल्याण संगठनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाना ।
(5) प्राणी उत्थान (Zooloical Parks) — लगभग प्रत्येक राज्य के बड़े-बड़े शहरों में वन्य जीवों के प्रति जनसाधारण तथा विशेषकर बच्चों में रुचि, जानकारी व संरक्षण भावना पनपाने हेतु जीव-जन्तु गृह (Zoo) संचालित किये जाते हैं।
(6) विशिष्ट प्रजातियों के लिए संरक्षण योजनाएँ (Special Conservation Schemes for Particular Species) — ऐसे वन्य जीव जिनका संरक्षण एवं सुरक्षा राष्ट्र के लिए प्राथमिकता बन गयी है उनके लिए विशिष्ट योजनाएँ बनायी गयी हैं यथा—
प्रोजेक्ट टाइगर योजना (Project Tiger Scheme) – 1 अप्रैल, 1973 को बाघों को संरक्षण देने के लिए ‘बाघ परियोजना’ प्रारम्भ की गयी थी। इस परियोजना के निम्नांकित उद्देश्य थे—
(i) वैज्ञानिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा सौन्दर्यपरक एवं पारिस्थितिकी मूल्यों के लिए बाघों की सुरक्षा व संरक्षा को निश्चित करना ।
(ii) जैविक महत्त्व के क्षेत्रों को शिक्षा, मनोरंजन तथा आर्थिक काम के लिए सुरक्षित रखना ।
(7) वन्य जीवों का दुर्लभ (संकटापन्न) प्रजातियों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेक्शन (Conventional International Trade in Endangered Species of Wild Flora and Fauna (CITES) — भारत सहित अनेक देशों ने वन्य जीवों की संकटापन्न प्रजातियों के अवैध अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को रोकने के लिए वाशिंगटन कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके प्रावधानों के अन्तर्गत वन्य जीवों के आयात-निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाना मुख्य प्रावधान है। यह संस्था प्रत्यक्षत: वन्य जीवों के संरक्षण में सहायक व सक्षम सिद्ध हुई है।
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