वैश्वीकरण के सन्दर्भ में शिक्षा के बदलते उद्देश्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
वैश्वीकरण के सन्दर्भ में शिक्षा के बदलते उद्देश्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर— वैश्वीकरण के सन्दर्भ में शिक्षा के बदलते लक्ष्य/ उद्देश्य– संसार के बदलते हुए घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए, सभी सीमाओं पर नए विकास हो रहे हैं। तकनीक, विज्ञान, कृषि, वाणिज्य, अन्तरिक्ष विज्ञान, मस्तिष्क विज्ञान, स्वास्थ्य और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में विशिष्टीकरण के नए क्षेत्र सामने आ रहे हैं। आत्म-निर्भरता, राष्ट्रीय विकास और अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शैक्षणिक प्रणाली के साथ पोषित करने वाले सम्बन्ध योगदान देते हैं । आधुनिकता और वैश्वीकरण के सम्बन्ध में उच्च शिक्षा के कुछ उद्देश्य इस प्रकार हैं—
(1) भूमण्डलीकरण विचारधारा के नागरिकों का निर्माण–सम्पूर्ण विश्व के निर्माण में स्वयं के योगदान को समझकर उसके अनुरूप कार्य करने की भावना वाले नागरिकों का निर्माण करना इस प्रकार की शिक्षा का प्रथम लक्ष्य है। ये नागरिक विश्व को अधिक से अधिक विकसित करने के लिए धारणक्षय विकास, सामाजिक न्याय, नैतिक दायित्व बोध, विविधता का सम्मान आदि मुद्दों पर जागरूक होकर सक्रिय सहभागिता के लिए तैयार होंगे।
(2) सक्रिय सहभागिता हेतु तैयारी– इस प्रकार की शिक्षा से तैयार किये गये व्यक्ति स्वयं की चेतना से विश्व – संदर्भ में सक्रिय सहभागिता के लिये तैयार रहेंगे। शिक्षा का लक्ष्य इस संदर्भ में ऐसे शिक्षार्थी तैयार करना है जो बाधाओं को पहचान कर उन्हें दूर करने के उपाय खोज सकें, दूरगामी परिणामों को विवेक शक्ति से पहचानें, सक्रिय सहयोग दें, क्रियाओं का मूल्यांकन करें, सर्वमान्य मूल्यों का सम्मान करते हुए सक्रिय रूप से विश्व शांति हेतु प्रयासरत रहें ।
(3) अनिवार्य निपुणताओं का विकास– भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया को सतत् गतिशील एवं उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए नागरिकों में कुछ अनिवार्य निपुणताओं को विकसित किया जाना भी शिक्षा का एक लक्ष्य है। जैसे कि स्वयं को भूमण्डलीकृत संदर्भ में प्रकट कर पाने की क्षमता, पक्षपात एवं पूर्वाग्रहों को पहचानना एवं दूर करना, सहयोग एवं सहकारिता में निपुणता, पर्यावरण संतुलन में कुशलता, संवेगात्मकस्थिरता, सामाजिक-संवेदनशीलता इत्यादि ।
(4) ज्ञान एवं समझ का लक्ष्य– इस प्रकार की शिक्षा नागरिकों को जिन पक्षों के लिए विशेष रूप से ज्ञान एवं समझ प्रदान करती है उनमें प्रमुख रूप से विश्व शांति एवं संघर्ष दूर करने के लिए किये जाने वाले प्रयास, मानवाधिकार की संकल्पना एवं दैनिक जीवन, उपयोग, प्रबन्धन में परिवर्तन की आवश्यकता एवं प्रक्रिया, आर्थिक विकास, पर्यावरणीय संतुलन के लिए उत्तरदायी कारकों को नियंत्रित रखना, अन्त:निर्भरता इत्यादि हैं।
(5) मूल्य एवं अभिवृत्तियों का विकास– सम्पूर्ण विश्व के संदर्भ में कुशल एवं सक्रिय नागरिकों का निर्माण करने के लिए शिक्षा का एक अन्य लक्ष्य जिन मूल्यों एवं अभिवृत्तियों को विकसित करना है उनमें प्रमुख हैं—सामाजिक न्याय का मूल्य, पर्यावरणीय स्थिरता, सहयोग एवं दायित्व बोध, आत्म बोध एवं वैयक्तिकता का विकास, वैज्ञानिक अभिवृत्ति एवं सकारात्मक चिन्तन ।
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