शिक्षण अधिगम वृद्धि में प्रयोगशाला की भूमिका की विवेचना कीजिए।
शिक्षण अधिगम वृद्धि में प्रयोगशाला की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर- शिक्षण अधिगम वृद्धि में प्रयोगशाला की भूमिकाप्रयोगशालाएँ केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, अपितु शिक्षकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी होती हैं। प्रयोगशालाएँ शिक्षण एवं अधिगम में निम्न प्रकार सहायक हो सकती हैं
(1) इनमें विद्यार्थियों को स्वयं करके सीखने का मौका मिलता है। इसके अतिरिक्त स्वयं करके सीखने के लिए विषय के अनुरूप उचित पर्यावरण प्रदान करने के लिए एक ही स्थान पर ही अधिगम सामग्री उपलब्ध हो जाती है। जिससे विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के समय की बचत होती है।
(2) विद्यार्थियों के सामाजिक जीवन में अनेक समस्याएँ प्रतिदिन आती रहती हैं, इनका समाधान विद्यार्थी प्रयोगशाला विधि से निकाल सकते हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और परस्पर सहयोग के साथ कार्य करने से सामाजिक भावना का विकास होता है जो एक प्रकार से विद्यार्थियों को सामाजिक अधिगम का प्रशिक्षण उपलब्ध कराती हैं। (3) प्रयोगशालाओं के माध्यम से विद्यार्थियों में विषय के प्रति
रुचि बढ़ती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है जो विद्यार्थियों में अधिगम वृद्धि करती है।
(4) प्रयोगशालाएँ कार्य और कारण के सम्बन्धों को जोड़ती हैं, तर्कपूर्ण विचार के लिए प्रेरित करती हैं और विद्यार्थियों में रचनात्मक शक्ति का विकास करती हैं। जिससे विद्यार्थियों के अधिगम में रचनात्मकता का समावेश होता है।
(5) प्रयोगशालाएँ सिद्धान्तों को परखने (जाँचने) में व पुष्ट करने में सहायता करती हैं, सिद्धान्त निर्माण के लिए आवश्यक प्रक्रिया का ज्ञान देती हैं और समालोचनात्मक दृष्टिकोण का पोषण करती हैं जो विद्यार्थियों के अधिगम को व्यापक बनाता है।
(6) प्रयोगशालाएँ शिक्षकों के शिक्षण में भी सहायक होती है। प्रयोगशालाएँ शिक्षक को अनेक क्रिया प्रधान शिक्षण विधियों के प्रयोग करने का अवसर उपलब्ध कराती हैं।
(7) प्रयोगशाला विद्यार्थियों में पहल करने, आलोचनात्मक दृष्टिकोण का विकास करने, साधन सम्पन्नता, सहयोग और वैयक्तिक कार्य करने की शक्ति आदि गुणों का विकास करती है और विभिन्न विषयों के सम्बन्ध में व्यावहारिक कार्य व योजनाओं के लिए प्रेरित करती है, जो विद्यार्थियों के अधिगम वृद्धि में विशेष रूप से सहायक होती है। अत: स्पष्ट होता है कि आधुनिक युग में अच्छे विद्यालय में केवल विज्ञान की प्रयोगशालाएँ ही नहीं है, इनके अलाव अन्य विषयों जैसे—भूगोल, भाषाएँ, कम्प्यूटर, मनोविज्ञान, निर्देशन आदि की प्रयोगशालाएँ भी बन गई हैं। इनकी उपयोगिता स्वयं सिद्ध हो रही है।
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