संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये–सामुदायिक सहभागिता की आवश्यकता एवं महत्त्व ।

संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये–सामुदायिक सहभागिता की आवश्यकता एवं महत्त्व । 

उत्तर— समुदाय एक निश्चित भू-भाग पर बसने वाले लोगों का समूह है जो अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए वहाँ उपलब्ध सुविधाओं का समान रूप से उपभोग करता है और साथ ही एक-दूसरे पर निर्भर रहता है। आत्म अभिव्यक्ति व समुदाय के आपसी सम्बन्ध में सबसे अहम बात यह है कि समुदाय व परिवेश को संसाधन के रूप में देखा जाए। ग्रामीण और शहरी दोनों ही पर्यावरण और समुदाय आत्म-अभिव्यक्ति के विकास के महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। ग्रामीण पर्यावरण की विराटता और उनका शांत खुलापन जिसमें खेल, तालाब, नदी, पेड़, पक्षी, पशु आदि भी शामिल हैं जो कि आत्म-अभिव्यक्ति के लिए महत्त्वपूर्ण घटक हैं। इसी प्रकार शहरी पर्यावरण के व्यस्त व्यापारिक केन्द्र, सांस्कृतिक केन्द्र, नृत्य – संगीत, नाट्यशालाएँ आदि महत्त्वपूर्ण घटक हैं।
आत्म-अभिव्यक्ति के विभिन्न अवसरों को विकसित करने में माता-पिता की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण होती है। इसके लिए माता-पिता का पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है। वे अपने बच्चों को समुदाय की विभिन्न परम्पराओं से परिचित करवा सकते हैं। बच्चे विभिन्न त्यौहारों पर होने वाली विभिन्न प्रकार की सजावट रंगोली बनाना, वेशभूषा बनाना आदि सीख सकते हैं। ऐसे ही गाँव के कारीगरों से सुन्दर वस्तुएँ बनाना, मिट्टी के खिलौने बनाना आदि का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विद्यालय भी इन क्रियाओं में भागीदारी कर सकता है। शहरी पर्यावरण के विभिन्न सांस्कृतिक केन्द्र भी विद्यार्थियों की आत्म अभिव्यक्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं।
अतः उपर्युक्त विवरण के आधार पर हम कह सकते हैं कि ग्रामीण व शहरी परिवेश में ऐसे बहुत से संसाधन हैं जिनका उपयोग आत्म अभिव्यक्ति की गतिविधियों के आयोजन, संचालन व संवर्द्धन में किया जा सकता है जिससे सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा मिलता है। स्पष्ट है कि आत्म अभिव्यक्ति में सामुदायिक सहभागिता की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
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