संवेदी स्मृति क्या है ?
संवेदी स्मृति क्या है ?
उत्तर— संवेदी स्मृति (Sensory Memory)– संवेदी स्मृति का सम्बन्ध स्मृति प्रक्रिया के दैहिक सक्रियता स्तर से है। व्यक्ति के शरीर की विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों के स्तर पर पंजीकृत सूचनाओं का ज्यों-का-त्यों कुछ क्षण तक भण्डारित रहना ही संवेदी स्मृति कहलाता है। वास्तव में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति की ज्ञानेन्द्रियों के स्तर पर बाहरी उद्दीपकों के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं का पंजीकरण तथा उन पंजीकृत सूचनाओं का ज्ञानेन्द्रियों में कुछ क्षण के लिए रुका रहना ही प्रत्यक्षीकरण का आधार है। संवेदी स्मृति को एक उदाहरण द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है। मान लीजिए कि किसी पीतल के घण्टे पर प्रहार किया जाए तो उससे ध्वनि उत्पन्न होगी। इस ध्वनि की गूँज कुछ क्षण के लिए कानों में बनी रहती है। यही संवेदी स्मृति है । इस हम श्रवण सम्बन्धी संवेदी स्मृति कहते हैं । भिन्न-भिन्न ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्धित भिन्न-भिन्न प्रकार की संवेदी स्मृति का व्यवस्थित अध्ययन किया गया है। इन दोनों प्रकार की संवेदी स्मृतियों को नाइस्सेर नामक मनोवैज्ञानिक न क्रमशः प्रतिचित्रात्मक तथा प्रतिध्वन्यात्मक स्मृति कहा है। हम जानते हैं कि समस्त चाक्षुष उद्दीपक आँख के पटल पर ही प्रतिबिम्बित होते हैं । इन उद्दीपकों के अक्षिपटल से यथार्थ में हट जाने के उपरान्त भी कुछ क्षण के लिए इनकी छवि या प्रतिचित्र अक्षिपटल पर बना रहता है। इसी से उनको प्रत्यक्षीकरण तथा अल्पकालिक स्मृति में भण्डारण के लिए प्रक्रमित किया जाता है। इस प्रकार यथार्थ उद्दीपक के हट जाने के उपरान्त भी अक्षिपटल पर कुछ क्षण के लिए उद्दीपन का बना रहना ही चाक्षुष संवेदी स्मृति कहलाता है। चाक्षुष संवेदी स्मृति के समान ही श्रवणात्मक संवेदी स्मृति भी होती है। श्रवणात्मक संवेदी स्मृति में ध्वनि सम्बन्धी उद्दीपकों से उद्दीप्त प्रतिध्वनि अथवा अनूगूँज का भण्डारण होता है।
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