समोच्च रेखाओं द्वारा विभिन्न प्रकार की स्थलाकृति का प्रदर्शन करें।
समोच्च रेखाओं द्वारा विभिन्न प्रकार की स्थलाकृति का प्रदर्शन करें।
उत्तर – भू-आकृतियों के अनुरूप ही समोच्च रेखाओं का प्रारूप बनता है और उन समोच्च रेखाओं पर संख्यात्मक मान ऊँचाई के अनुसार ही बैठाया जाता है। उदाहरण के लिए यदि वृत्ताकार प्रारूप में आठ दस समोच्च रेखाएँ खींचे जाते हैं तो इससे दो भू-आकृतियाँ दिखाई जा सकती है। प्रथम शंक्वाकार पहाड़ी और द्वितीय झील। शंक्वाकार पहाड़ी के लिए बनाए जानेवाले समोच्च रेखाओं का मान बाहर से अंदर की ओर बढ़ता जाता है। दूसरी ओर झील आकृति दिखाने के लिए समोच्च रेखाओं में बाहर की ओर अधिक मान वाली तथा अंदर की ओर बढ़ता जाता है। दूसरी ओर झील आकृति दिखाने के लिए समोच्च रेखाओं में बाहर की ओर अधिक मानवाली तथा अंदर की ओर कम मानवाली समोच्च रेखाएँ होती हैं।
पर्वत- पर्वत स्थल पर पाई जानेवाली वह आकति है जिसका आधार काफी पाहा तथा शिखर काफी पतला अथवा नकिला होता है। आसपास की स्थलाकृति स यह पर्याप्त ऊँची उठी हई होती है। इसका मप शंकनमा होता है। ज्वालामुखी से मित पहाड़ी शंकु आकृति की होती है। शंक्वाकार पहाड़ी की समोच्च रेखाओं को लगभग वृत्ताकार रूप में बनाया जाता है। बाहर से अंदर की ओर वृत्तों का आकार छोटा होता जाता है। बीच में सर्वाधिक ऊँचाई वाला वृत्त होता है।
पठार- इसका आकार और शिखर दोनों चौडा और विस्तृत होता है। इसका विस्तृत शिखर उबड़-खाबड़ होता है। इसलिए, पठारी ‘पाग को दिखाने के लिए समाच्च रेखाओं को लगभग लंबाकार आकति में बनाया जाता है। प्रत्येक समोच्च रखा बंद आकृति में बनाया जाता है। इसका मध्यवती समोच्च रेखा भी पर्याप्त चौड़ा बनाया जाता है।
जलप्रपात – जब किसी नदी का जल अपनी घाट से गुजरने के दौरान ऊपर से नीचे की ओर तीव्र ढाल पर अकस्मात गिरती है तब उसे जलप्रपात कहते हैं। इस आकृति को दिखाने के लिए खड़ी ढाल के पास कई समोच्च रेखाओं को एक स्थान पर मिला दिया जाता है और रेखाओं को ढाल के अनुरूप बनाया जाता है।
‘V’ आकार की घाटी – नदी के द्वारा उसके युवावस्था में इसका निर्माण होता है। इस आकृति को प्रदर्शित करने के लिए समोच्च रेखाओं को अंग्रेजी को ‘V’ अक्षर की उल्टी आकृति बनाई जाती है, जिसमें समोच्च रेखाओं का मान बाहर से अंदर की ओर क्रमशः घटता जाता है।