सम-सामयिक का महत्त्व को परिभाषित कीजिए।

सम-सामयिक का महत्त्व को परिभाषित कीजिए।

अथवा

सम-सामयिक विधि (Assignment Method) के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर — सम-सामयिक विधि (Assignment Method)—  असाइनेन्ट पद्धति को डाल्टन पद्धति भी कहा जाता है। कक्षा में सामूहिक शिक्षण के दोषों को दूर करने हेतु इस पद्धति का निर्माण किया गया था। सामूहिक शिक्षण में तीव्र बुद्धि वाले छात्रों की प्रगति में बाधा पड़ती है और अधिकांशतः मन्द बुद्धि वाले बालकों को निराश होकर मानसिक ग्रन्थियों का शिकार होना पड़ता है।
इस विधि की जन्मदात्री कुमारी हेल पार्खहस्ट थीं। उनके अनुसार “डाल्टन विधि एक यान्त्रिक अवस्था है जिसमें वैयक्तिक कार्य का सिद्धान्त प्रयोग में लाया जाता है। इस विधि में अध्यापक और छात्र को अधिक उपयोगी समय से कार्य करने के लिए अवसर प्राप्त होते हैं। “
अमेरिका की मिस हैलन पार्खहर्स्ट ने प्रत्येक छात्र को अपनी क्षमता के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया था।
असाइनमेन्ट पद्धति में शिक्षक अपने विषय के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को कुछ अंशों (इकाइयों) में विभक्त करता है और छात्रों को इन्हें अपनी क्षमतानुसार पूर्ण करना होता है। प्रायः छात्र पुस्तकालय, विषयकक्षों और प्रयोगशाला आदि की मदद लेते हैं। वे अधिक कठिनाई आने पर शिक्षक से भी परामर्श लेते हैं।
शिक्षक का कार्य विषय-कक्षों की व्यवस्था करना और उन्हें विषय से सम्बन्धित पुस्तकों और सभी सहायक सामग्री से सुसज्जित करना है। छात्रों को असाइनमेन्ट कार्य शीघ्र समाप्त करने के लिए नहीं कहा जाता है। छात्र स्वयं उत्तरदायित्व की भावना से कार्य को पूरा करते हैं और एक असाइनमेन्ट खत्म होने पर उसके आगे का दूसरा असाइनमेन्ट करना प्रारम्भ कर देते हैं।
असाइनमेन्ट पद्धति से विद्यालयों में अनुशासन की समस्या का बहुत कुछ समाधान हो जाता है। सैद्धान्तिक ज्ञानार्जन हेतु यह एक अत्यधिक उपयुक्त पद्धति है। प्रोजेक्ट, प्रदर्शन, प्रयोगों और सामूहिक पद्धतियाँ अर्थशास्त्र एवं भूगोल शिक्षण लिए इससे अधिक उपयोगी मानी जाती हैं। यदि पुस्तकालयों में अच्छी पुस्तकों की व्यवस्था हो तथा सहायक सामग्री और वांछनीय पुस्तकें सरलता से विद्यालय में उपलब्ध हो जाएँ तो यह पद्धति सैद्धान्तिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अधिक लाभकारी हो सकती है। इसके अतिरिक्त जूनियर कक्षाओं के छात्र इतने उत्तरदायित्वपूर्ण और आत्मनिर्भर नहीं होते हैं कि वे असाइनमेन्ट का दायित्व स्वतंत्रतापूर्वक सम्भाल सकें।
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