सहकारी अधिगम के अंगों का वर्णन कीजिए।

सहकारी अधिगम के अंगों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – सहकारी अधिगम के विभिन्न अंगों का वर्णन निम्न प्रकार है—

(1) खेल द्वारा अधिगम – सामान्य रूप से बालक घर पर विविध प्रकार की मिट्टी की मूर्ति एवं खिलौनों का निर्माण करते हैं जिससे एक ओर तो उनमें विभिन्न प्रकार के कौशलों का विकास होता है वहीं दूसरी ओर कला सम्बन्धी अधिगम भी होता है। खेल खेलने से बालक एक दूसरे के प्रति प्रेम व सहयोग का प्रदर्शन करते हैं जिससे उनमें सामाजिक गुणों का विकास होता है। खेल द्वारा अधिगम से छात्रों में सीखने की प्रक्रिया तीव्र एवं स्थायी रूप में देखी जाती है ।
(2) सांस्कृतिक कार्यक्रम – विद्यालय में सम्पन्न होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी सहकारी रूप से छात्रों का सहयोग लिया जाता है। बालकों को समय-समय पर इस प्रकार के कार्यक्रमों में (विद्यालय तथा विद्यालय से बाहर) भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे छात्र एक ओर स्वयं कार्य करके अधिगम करता है तथा दूसरी ओर साथियों से भी सीखने का प्रयास करता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अभिभावकों की भी रुचि बनी रहती है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अभिभावकों को भी आमन्त्रित करना चाहिए। बालक अपने माता-पिता के द्वारा कार्य की प्रशंसा सुनकर सीखने के लिए अधिक प्रोत्साहित होते
(3) शैक्षिक मेलों द्वारा सीखना – विद्यालय में छात्रों के लिए शैक्षिक मेलों का आयोजन करना चाहिए। इन मेलों के माध्यम से छात्रों को अधिक से अधिक सीखने के अवसर मिलते हैं। जैसे कम्प्यूटर मेलों के आयोजन से छात्रों को कम्प्यूटर सम्बन्धी उपकरणों के बारे में तथा उनके प्रयोग के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है तथा छात्रों को कम्प्यूटर के ज्ञान सम्बन्धी तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। इसी प्रकार अन्य विषयों पर भी मेलों का आयोजन किया जा सकता है ।
(4) सामूहिक प्रतियोगिता द्वारा अधिगम – बालक के समक्ष जब प्रतियोगिता रखी जाती है तो बालक पूर्ण मनोयोग से कार्य करता है क्योंकि उसके समक्ष जीवन का लक्ष्य होता है। इसी क्रम में जब बालकों को समूह में रखकर अधिग़म कार्य प्रदान किए जाते हैं तो उनमें सीखने की भावना तीव्र हो जाती है। जैसे- – छात्रों के समूह बनाकर उनकी गिनती लेखन की प्रतियोगिता करायी जाए तो प्रतियोगिता में प्रत्येक छात्र स्वयं गिनती सीखेगा तथा अपने समूह के कमजोर छात्र को भी सीखने के लिए प्रेरित करेगा साथ ही अपने स्तर पर लाने में उसको सहयोग भी करेगा। इस प्रकार अधिगम स्थायी एवं तीव्र गति से होगा।
(5) शैक्षिक भ्रमण द्वारा सीखना – छात्रों को शैक्षिक भ्रमण द्वारा सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए। सामान्य रूप से शैक्षिक भ्रमण पर जाना छात्रों को अच्छा लगता है। शहर के प्रसिद्ध कम्प्यूटर प्रयोगशालाओं, उद्योग स्थलों, समाचार पत्र स्थलों, ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराया जाना चाहिए। इससे छात्रों को सम्बन्धित चीजों की जानकारी सरलता से हो जायेगी तथा सहयोग की प्रवृत्ति का भी इससे विकास होता है।
(6) समूह द्वारा सीखना – समूह द्वारा अधिगम की प्रक्रिया को सरल, रोचक एवं उपयोगी बनाया जा सकता है। इसमें छात्रों के समूह बनाकर उनको कार्य दिए जाते हैं। कुछ प्रतिभाशाली छात्रों को प्रत्येक समूह में रख दिया जाता है तथा उन्हें समूह का प्रमुख बना दिया जाता है। समूह को जो शैक्षिक कार्य दिए जाते हैं वे पाठ्यवस्तु से सम्बन्धित होते हैं। इस प्रकार के समूह में छात्र एक दूसरे से सहायता करते हुए सीखते हैं । आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
(7) शैक्षिक प्रदर्शन द्वारा सीखना – विद्यालय में समय-समय पर शैक्षिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना चाहिए। इस आयोजन के अन्तर्गत उन विषयों पर प्रदर्शनी लगाई जानी चाहिए जो बालकों की आयु व मानसिक स्तर के अनुकूल हो अर्थात् परिवहन के साधन, सजीव व निर्जीव वस्तुएँ, कम्प्यूटर आदि । इससे छात्रों में सामूहिक भावना का विकास होगा। प्रदर्शनी में सम्बन्धित तथ्यों के बारे में छात्र एक-दूसरे से तथा शिक्षकों से सीखने का प्रयास करेंगे ।
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