सहकारी अधिगम से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं और उद्देश्यों को लिखिये ।
सहकारी अधिगम से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं और उद्देश्यों को लिखिये ।
अथवा
सहकारी अधिगम का वर्णन कीजिए।
अथवा
सहकारी अधिगम के कोई चार उद्देश्य लिखिये ।
उत्तर— सहकारी अधिगम से तात्पर्य सहकारी अधिगम से तात्पर्य प्रायः ऐसी अधिगम प्रक्रिया से है जिसमें विद्यार्थी को स्वयं ही अपने समूह के अन्तर्गत सहकारी प्रणाली का अनुसरण करते हुए अधिगम करना होता है। छात्र प्रायः अपनी सूचनाओं एवं अनुभवों का आपस में आदान-प्रदान करते हैं तथा परस्पर सहयोग द्वारा वातावरण में विषय सम्बन्धी ज्ञान एवं कौशलों को अर्जित करने का प्रयत्न करते हैं ।
सहकारी अधिगम में प्रतिस्पर्धात्मक अधिगम के स्थान पर सहकारी ढंग से अधिगम उपार्जन का तथ्य विद्यार्थियों के समक्ष रखा जा सकता है। अतः सहकारी अधिगम द्वारा शिक्षक एवं छात्र दोनों की भूमिका एवं उत्तरदायित्वों में सार्थक एवं उद्देश्यपरक रूप से परिवर्तन लाया जा सकता है।
सहकारी अधिगम को एक ऐसे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें एक कक्षा के विद्यार्थी अपने आपको छोटे-छोटे विभिन्न समूहों में (जिनमें से प्रत्येक में विभिन्न योग्यता स्तर के बहुत थोड़े विद्यार्थी सम्मिलित होते हैं) बाँटकर प्रतिस्पर्धा रहित अधिगम वातावरण में सहकारी ढंग से परस्पर मिलजुल कर विषय विशेष से सम्बन्धित पाठ्य-सामग्री के अधिगम अर्जन में प्रयत्नरत रहते हैं।
छात्रों को समूह के कार्य करने में आनन्द का अनुभव होता है। बालक को अपने साथियों के साथ खेलना अच्छा लगता है । कक्षा में पढ़ते समय भी छात्र अपने साथियों से बात करते हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि छात्रों का समूह में रहकर सहकारी अधिगम अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से होता है।
सहकारी अधिगम की विशेषताएँ निम्न हैं—
(1) यह प्रणाली यह विश्वास करके चलती है कि शिक्षक को छात्रों के साथ एक मित्र, सहयोगी एवं मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हुए छात्रों को इस प्रकार की अधिगम सुविधाएँ देने का कार्य करना चाहिए जिससे उन्हें पारस्परिक सहयोग करते हुए सीखने में सहायता प्राप्त होती है ।
(2) यह छात्रों को भविष्य में सहयोगी एवं उत्तरदायी सामाजिक जीवन जीने के लिए उचित रूप से तैयार करने के लिए सहकारी ढंग से काम करने का अवसर प्रदान करता है ।
(3) इसमें छात्र कक्षा-साथियों के साथ निकटता और आत्मीयता का अनुभव कर विचारों, सूचनाओं तथा ज्ञान का अच्छी प्रकार से आदान-प्रदान कर सकते हैं ।
(4) इस प्रणाली का विश्वास है कि सही और वास्तविक अधिगम तभी सम्भव है जब वह समूह के अन्तर्गत सहयोगपूर्ण ढंग से मिलजुल कर अर्जित किया जाए । व्यक्तिगत एवं प्रतिस्पर्धापूर्ण अधिगम अर्जन कभी प्रभावपूर्ण एवं सार्थक सिद्ध नहीं हो सकता क्योंकि इससे सामाजिकता की अपेक्षा स्वार्थपूर्णता और वैयक्तिकता का ही पोषण होता है, जो कि उचित नहीं है।
(5) यह विद्यार्थियों को स्वयं अपना अधिगम मार्ग का चयन करने हेतु प्रेरित करता है ।
(6) इसमें विद्यार्थी को स्पर्धारहित, चिन्तामुक्त, सहयोगी वातावरण में सीखने एवं सहयोगपूर्ण अधिगम व अवसरों को प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया जाता है ।
(7) इस प्रणाली की मान्यता है कि विद्यार्थी अच्छी प्रकार से अधिगम कर सकता है जब वह पूरी तरह जुड़कर एकदूसरे से सहयोग करते हुए अधिगम पथ पर आगे बढ़े।
(8) इस प्रणाली में व्यक्तिगत प्रयत्नों की अपेक्षा मिलजुलकर सहकारितापूर्ण ढंग से किए जाने वाले सामूहिक प्रयत्नों को अधिगम अर्जन के लिए प्राथमिकता प्रदान की जाती है।
(9) सहकारी अधिगम शिक्षण अधिगम को विषय एवं अध्यापक केन्द्रित बनाने की अपेक्षा छात्र केन्द्रित बनाने पर जोर देता है।
(10) छात्रों की सामूहिक उपलब्धियों का मूल्यांकन करने के लिए दो बातों पर समान रूप से बल दिया जाना चाहिए। समूह के सामने अधिगम अर्जन के लिए क्या उद्देश्य थे तथा इन उद्देश्यों की पूर्ति में विद्यार्थियों द्वारा क्या योगदान दिया गया।
सहकारी अधिगम के उद्देश्य–सहकारी अधिगम के निम्न उद्देश्य है—
(1) बालक को अपना उत्तरदायित्व समझने के लिए प्रोत्साहित करना ।
(2) बालक को सहकारी अधिगम की अवस्था में विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने का अवसर मिले।
(3) परस्पर सहयोग से समस्या निदान की निपुणता को विकसित करना ।
(4) विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बालकों के लिये सीखने के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करना ।
(5) सक्षम व अक्षम बालकों के मध्य मैत्रीपूर्ण वातावरण को प्रोत्साहित करना ।
(6) सहकारी समूह के सदस्यों के मध्य सामाजिक वातावरण तैयार करना ।
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