सूक्ष्म शिक्षण एवं विस्तृत शिक्षण में क्या अन्तर है?

सूक्ष्म शिक्षण एवं विस्तृत शिक्षण में क्या अन्तर है?

उत्तर— सूक्ष्म-शिक्षण-सूक्ष्म–शिक्षण, अध्यापन प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक नवीन आशा और उत्साह का प्रतीक बनकर शिक्षकों को, छात्राध्यापकों को और शिक्षक प्रशिक्षकों को आज चुनौती भरे स्वरों में पुकार रहा है। सूक्ष्म – शिक्षण, प्रशिक्षण महाविद्यालयों के लिए एक वरदान बनकर आया है, जिसके फलस्वरूप आज प्रशिक्षण हेतु आये छात्राध्यापकों में कक्षा-अध्यापन के कौशल (Skill) के विकास की बात प्रारम्भ हो गयी है। सूक्ष्म-शिक्षण एक प्रकार की प्रयोगशाला विधि है जिसमें छात्राध्यापक शिक्षण कौशलों का अभ्यास बिना किसी को हानि पहुँचाये करते हैं। यह विधि प्रयोगशाला की सभी शर्तों की पूर्ति करने में सक्षम है।
विस्तृत शिक्षण–शिक्षा के क्षेत्र में समूह शिक्षण उपागम काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। इस विधि में विषय के विभिन्न उपविभागों के विशेषज्ञ शिक्षण प्रदान करते हैं। एक कक्षा में एक ही समय में दो या दो से अधिक शिक्षक समूह के रूप में पहुँच जाते हैं और अपने-अपने विषयों का ज्ञान प्रदान करते हैं। एक शिक्षक प्रकरण के विषय में व्याख्यान देता है और सैद्धान्तिक बातें बताता है। दूसरा शिक्षक प्रयोगशाला में प्रयोग करने की व्यवस्था करता है; तीसरा शिक्षक श्रव्य-दृश्य सामग्री का उपयोग उस प्रकरण को स्पष्ट करने में करता है और इस प्रकार से सभी शिक्षक शिक्षण कार्य में समन्वय स्थापित करने के लिए योजनाएँ बनाते हैं। इस प्रकार से छात्रों को इस उपागम के माध्यम से अधिक प्रभावशाली ढंग से पढ़ाया जा सकता है । इसके प्रमुख रूप हैं— (1) दूसरे शिक्षकों के साथ, (2) सिम्पोजियम की भाँति, (3) पैनल वार्तालाप ।
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