अधिगम में संज्ञान की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

अधिगम में संज्ञान की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर— अधिगम में संज्ञान की भूमिका – संज्ञानात्मक उपागम प्रमुख रूप से मानव व्यवहार के मनोवैज्ञानिक पक्ष से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत अनुसंधान करते समय प्रत्यक्ष ज्ञान, संकल्पना निर्माण, भाषा प्रयोग, चिन्तन, बोध, समस्या समाधान, अवधान एवं स्मृति जैसे क्रियाकलापों को ध्यान में रखा जाता है। इस प्रकार संज्ञानात्मक उपागम व्यक्ति के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक क्रिया व्यापार से सम्बन्धित है। इस प्रकार अधिगम की संकल्पना एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया के रूप में की गयी है। अधिगम की प्रक्रिया के समय व्यक्ति की संज्ञानात्मक संरचना में परिवर्तन होते हैं जो सीखी गयी अथवा पढ़ाई गयी संकल्पना के विकास एवं बोध में उसकी सहायता करते हैं। इस प्रकार अधिगम लक्ष्य केवल क्रिया द्वारा ही प्राप्त नहीं हो जाते बल्कि इस प्रकार वस्तुओं के अर्थ ग्रहण करने से होते हैं कि नयी समस्याओं के समाधान के लिए उनका अन्तरण किया जा सके। प्रतिपुष्टि की धारणा संज्ञानात्मक उपागम का एक महत्त्वपूर्ण तत्व है । अधिगम परिस्थिति की कल्पना इस प्रकार की जाती है कि व्यक्ति समस्या का सामना होने पर अपने स्मृति ज्ञान के आधार पर एक प्राक्कल्पना का विकास करता है और उसकी परख करता है । उसको क्रिया के परिणाम उसको प्रतिपुष्टि प्रदान करते हैं जिससे ठीक समाधान परिपुष्ट हो जाते हैं और गलत समाधानों को अस्वीकार कर दिया जाता है ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *