‘स्वचेतन’ को विस्तारपूर्वक समझाइये ।

‘स्वचेतन’ को विस्तारपूर्वक समझाइये ।

उत्तर–स्वचेतन व्यक्ति के सामंजस्य और शान्ति के लिए मानसिक रूप से सम्पूर्ण होना भी आवश्यक है। मानसिक रूप से सजगता/ सम्पूर्णता वर्तमान में होने वाली आन्तरिक और बाहरी अनुभवों के लिए किसी के ध्यान में लाने की मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। सजगता/ पूर्णता को ध्यान और अन्य प्रशिक्षण के अभ्यास के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। अपने आस-पास के वातावरण, अपने विचारों, भावनाओं, शारीरिक उत्तेजना के प्रति जागरूकता या सचेतनता बनाए रखना व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है। इसमें इस प्रकार की स्वीकृति भी सम्मिलित है कि व्यक्ति बिना आकलन किए अपने विचारों और भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित कर लेता है ।
स्वचेतना की आवश्यकता–शिक्षण व्यवस्था में एक शिक्षक द्वारा शिक्षार्थी को उसके स्वयं के विकास के लिए उसमें सचेतना या सावधानी विकसित किया जाना आवश्यक है जिसका निरन्तर अभ्यास शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक लाभ को विकसित करता है। इसके लाभ निम्नलिखित हैं–
(1) सजगता/ पूर्णता व्यक्ति के शरीर के लिए अच्छा अभ्यास है जिसके द्वारा शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।
(2) यह विद्यार्थी में मस्तिष्क में सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाने तथा नकारात्मक भावनाओं को कम करने में सहायक हैं ।
(3) यह बालक को सीखने, स्मृति भावना विनियमन और सहानुभूति के घनत्व को बढ़ाता है।
(4) यह बालक की स्मृति तथा ध्यान कौशल में सुधार करने में सहायक है।
(5) सजगता/ पूर्णता (Mindfulness) अध्यापन व्यवहार भी समस्याओं और छात्रों के बीच आक्रामकता को कम कर देता है और उनकी प्रसन्नता के स्तर और ध्यान देने की क्षमता में सुधार करता है।
(6) यह प्रशिक्षित शिक्षकों को भी निम्न रक्तचाप, कम नकारात्मक भावना और अवसाद के लक्षण और अधिक से अधिक करुणा और सहानुभूति दिखाने में मदद करता है।
(7) यह व्यक्ति में सामंजस्य एवं शान्ति की शक्ति को बढ़ाता है।
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