स्वयं की छवि से आप क्या समझते हैं ? स्वयं की छवि के उत्थान के लिए किन-किन घटकों का ध्यान रखना चाहिए? वर्णन कीजिए |

स्वयं की छवि से आप क्या समझते हैं ? स्वयं की छवि के उत्थान के लिए किन-किन घटकों का ध्यान रखना चाहिए? वर्णन कीजिए | 

उत्तर—  स्वयं की छवि या आत्म छवि—आत्म छवि एक प्रकार की मानसिक तस्वीर है जो कि स्वयं के व्यक्तिगत अनुभवों से या दूसरों के निर्णय द्वारा बना ली जाती है।
आत्म विश्वास के लिए व्यक्ति को अपनी छवि को अपने स्वयं के, अपने परिवार, समाज, देश के प्रति अनुकूल बनाए जाने की जरूरत होती है । वह स्वयं की जैसी छवि बना लेता है, परिवार और समाज में उसे वैसा ही समझा जाने लगता है। यदि कोई एक बार अपने साथी नागरिकों का विश्वास तोड़ देता है तो फिर वह कभी भी उनका सम्मान और सत्कार नहीं पा सकता।
एक व्यक्ति की स्वयं की छवि को परिभाषा को इस प्रश्न के उत्तर के रूप में समझा जा सकता है क्या आप मानते हैं कि लोग आपके बारे में सोचते हैं? –
इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए व्यक्ति अपनी छवि को बनाने की कोशिश करता है और जानने की कोशिश करता है कि लोग उसके बारे में (ऊंचाई, वजन, बालों का रंग, लिंग, बुद्धि आदि) क्या सोचते हैं।
आत्म-छवि सुधारने के तरीके आत्म- छवि सुधारने के कुछ तरीके निम्नलिखित हैं—
(1) प्रतिदिन अपने आप से सकारात्मक बात करें; जैसे’आज मैं यह कार्य समाप्त कर दूँगा / दूँगी ।” अगली बार मैं और अधिक बेहतर कार्य करूँगा/करूँगी। आदि ऐसा करने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति अपने कार्य को और बेहतर ढंग से करने का प्रयत्न करता है।
(2) जब भी हम स्वयं से या किसी दूसरे से स्वयं के बारे में बात करें तो हमेशा सकारात्मक बात ही करनी चाहिए। उत्साहवर्धक एवं रचनात्मक तथ्यों को वार्तालाप में सम्मिलित करना चाहिए।
(3) आत्म-छवि को सुधारने वे उसका विकास करने के लिए हमें अपने आस-पास के वातावरण एवं स्वयं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और साथ ही दूसरों के प्रति भी ।
(4) अपनी गलती एवं अच्छे कार्यों को स्पष्ट रूप से स्वीकार करें। ऐसा करने से स्वयं की गलतियाँ एवं अच्छाइयाँ पता चलती हैं जिससे उनमें और अधिक सुधार करके अपनी आत्म-छवि में सुधार किया जा सकता है।
(5) अपने वार्तालाप में नहीं कर सकते की जगह कर सकते हैं को सम्मिलित करें। ऐसा करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति आसानी से अपनी प्रत्येक समस्या का समाधान खोज सकता है।
(6) लोगों से मित्रवत् सौहार्दपूर्ण व्यवहार करें। यदि आप इस तरह का व्यवहार उनसे करेंगे तो लोग आपसे भी वैसा ही व्यवहार करेंगे क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में लोगों
से सम्बन्धित एक धारणा बना लेते हैं और उसी के अनुरूप व्यवहार करते हैं।
(7) अपने डर का सामना करें। डर मानव जीवन का एक हिस्सा है। अपने डर को दूर करने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की सहायता लें जो आपको उसकी वास्तविकता से परिचित करा सके। ऐसे डर को त्यागने का प्रयत्न करें।
(8) प्रत्येक दिन में अपने लिए एक समय निर्धारित करें उस वक्त आप अपने सभी आवश्यक कार्य, जैसे—महत्त्वपूर्ण लोगों से बात करना, परिवार के साथ बैठकर बातें करना आदि करें।
(9) अपने स्वयं के ज्ञान एवं कौशल को विकसित करें।
(10) समस्याओं को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। सर्वप्रथम अपनी सभी महत्त्वपूर्ण समस्याओं की एक सूची बनाएँ और उनका एक पंक्ति में वर्णन करें। इसके पश्चात् इन समस्याओं को पुनः लिखें और इस बार इसे एक चुनौती या एक अवसर के रूप में देखें। प्रत्येक समस्या का समाधान ऐसा सोचें जैसे आप अपने सबसे घनिष्ठ मित्र को समस्या से सम्बन्धित सलाह दे रहे हो।
(11) आप अपने जीवन में जो बनना चाहते हैं हमेशा अपने आप को उसी रूप में देखें। ऐसा करने से व्यक्ति अपने अन्दर उन्हीं गुणों को विकसित करने का प्रयत्न करने लगता है और जिससे उसकी छवि में सुधार होता है।
(12) आत्म- छवि सुधारने का सबसे अच्छा तरीका है मुस्कुराओं क्योंकि आपकी बाह्य अभिव्यक्ति ही आपकी आन्तरिक भावनाओं को व्यक्त करती है ।
(13) अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें क्योंकि यदि मनुष्य स्वस्थ नहीं है तो उसका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है।
(14) सदैव ऐसे लोगों एवं परिस्थितियों से बचें जिनका प्रभाव नकारात्मक हो। अपने आस-पास ऐसे लोगों का समूह रखें जो उत्साहित एवं आशावादी हो ये समारात्मक होने का सबसे आसान तरीका है।
(15) हर महीने एक उत्साही या महान व्यक्ति की जीवनी पढ़े। उस जीवनी से प्राप्त अच्छे गुणों को अपने जीवन में अपनाएँ।
(16) अपने दैनिक वार्तालाप में से “मैं कोशिश करूँगा” के स्थान पर “ मैं करूंगा/करूँगी” शब्दों का प्रयोग करें।
(17) प्रत्येक वस्तु व्यक्ति अथवा समस्या का सकारात्मक पक्ष देखें ।
(18) अपनी शारीरिक भाषा (Body Language) को नियंत्रित करें। शारीरिक भाषा के द्वारा भी दूसरे व्यक्ति पर अपनी प्रभावात्मक छवि का निर्माण किया जा सकता है।
(19) अपने सहकर्मी (वरिष्ठ एवं कनिष्ठ) के साथ अच्छे ।सम्बन्ध बनाएँ।उनके साथ एकजुट होकर कार्य करें।
(20)  अपने तथ्यों को कहने या रखने को शैली को तार्किकता की सुदृढ़ता प्रदान करें। तार्किकता का अर्थ है आप जो कहना चाहते हैं वह स्पष्ट हो और आन्तरिक रूप से सुसंगत हो ।
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