स्व-आकलन से आपका क्या आशय है ?

स्व-आकलन से आपका क्या आशय है ?

उत्तर –स्व आकलन स्व-आकलन से तात्पर्य किसी व्यक्ि द्वारा अपने स्वयं के क्रिया-कलाओं मनोवृत्तियों एवं निष्पादन/प्रदर्शन के आकलन या मूल्यांकन से है। स्व-आकलन स्वयं को देखने (आत्मसाक्षात्कार) की प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने विभिन्न पहलुओं को सामने लाता है जो किसी व्यक्ति की पहचान के लिए आवश्यक या प्रमुख होते हैं। इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक उद्देश्य स्व-आकलन के साथ-साथ स्व-सत्यापन और स्व वृद्धि है। स्व-आकलन में छात्रों एवं शिक्षकों को अपने कार्यों को प्रतिबिम्बित करने और कितनी अच्छी तरह से उन्होंने आकलन मापदण्ड स्व-मूल्यांकन के अन्तर्गत छात्रों एवं शिक्षकों को यह अवसर प्रदान किया जाना चाहिए जिससे कि वे इस योग्य हो जाएँ कि अपने कार्यों की अच्छाई एवं बुराई को जान सकें न कि उनका ध्यान ग्रेड निर्माण की ओर लगा रहे ।

स्व-आकलन का अध्ययन निम्नलिखित दो सन्दर्भों में किया गया है
(1) छात्र द्वारा स्व-आकलन
(2) शिक्षक द्वारा स्व-आकलन।
(1) छात्र स्व-आकलन—छात्र स्व-आकलन के अन्तर्गत छात्रों द्वारा अधिगम प्रक्रिया एवं अपने कार्यों का मूल्यांकन सम्मिलित किया जाता है। स्व-आकलन प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा एवं आकलन उपकरण है। स्व-आकलन के माध्यम से छात्र निम्नलिखित गुणों का आकलन कर सकते हैं
(i) प्राप्त करना । अपने कौशल के मध्य अन्तराल की पहचान करना अर्थात् उनका ज्ञान किस क्षेत्र में कम है ? इस बात की जानकारी
(ii) अधिगम में उन्हें कहाँ पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना है? इसे सुनिश्चित करना ।
(iii) यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करने में।
(iv) अपने कार्यों को पुनरीक्षित करने हेतु स्व-आकलन करना।
(v)  अपनी प्रगति का आकलन करने के लिए।
(2) शिक्षक द्वारा स्व-आकलन – स्व आकलन अपनी उपलब्धियों में सुधार करने की एक प्रभावशाली तकनीकी है। इसके में माध्यम से शिक्षक अपनी कमियों एवं गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर अपने शिक्षण में सुधार कर सकता है। स्व-आकलन शिक्षकों को अपने व्यावसायिक विकास करने हेतु भी अवसर प्रदान करता है। स्व-आकलन के अन्तर्गत शिक्षक इस बात का निरीक्षण करता है कि जिन शिक्षण विधियों, उनसे सम्बन्धित दृश्य-श्रव्य साधनों आदि का प्रयोग वह शिक्षण हेतु कर रहा है वह उचित है अथवा नहीं, उसके शिक्षण में क्या कमियाँ हैं ? छात्र अधिगम में रुचि ले रहे हैं या नहीं ? आदि। वे शिक्षक जो अपना सर्वश्रेष्ठ करने में रुचि रखते हैं ये वही शिक्षक होते हैं जो स्वआकलन को गम्भीरता से लेते हैं और अपने विश्लेषणों को दूसरों से साझा भी करते हैं। इसके साथ ही वे शिक्षक दूसरे (अन्त) शिक्षकों से शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए सुझाव भी प्राप्त करते हैं। उपर्युक्त तथ्यों के अतिरिक्त स्व-आकलन करने में निम्नलिखित तत्त्व सहायक होते हैं—
(i) छात्रों को जो भी शैक्षिक अनुभव प्रदान किए जा रहे हैं उनमें सुधार करना ।
(ii) अपनी शिक्षण क्षमता में सुधार करने के लिए आवश्यक व्यावसायिक शिक्षा की पहचान करना ।
(iii) शिक्षक को अपने प्रदर्शन पर समीक्षकों द्वारा की गई समीक्षा के लिए तैयार रहना ।
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