‘हमारी नींद के बावजूद’ की व्याख्या कीजिए।

‘हमारी नींद के बावजूद’ की व्याख्या कीजिए।

उत्तर :- प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के ‘हमारी नींद’ नामक शीर्षक से उद्धृत है। इस अंश में हिन्दी काव्यधारा के समसामयिक कवि वीरेन डंगवाल ने वैसे लोगों का चित्रण किया है जो आरामतलबी जीवन पसंद करते हैं।
प्रस्तुत अंश में कवि कहते हैं कि जीवनक्रम कभी रुकता नहीं है। समय का चक्र के समान बिना किसी की प्रतीक्षा किये हुए अनवरत आगे ही बढ़ता जाता है। .. यदि हमारे समाज का कोई व्यक्ति सुविधाभोगी आराम का जीवन पसंद करता है तो कहीं एक पक्ष जरूर ऐसा भी होता है जिसका सिलसिला हमेशा आगे बढ़ते जाता – है जो कर्मवाद का संदेश देता है।

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