अभियोग्यता का अर्थ बताइये । अभियोग्यता की क्या विशेषताएँ होती हैं ?

अभियोग्यता का अर्थ बताइये । अभियोग्यता की क्या विशेषताएँ होती हैं ? 

उत्तर— अभियोग्यता का अर्थ एवं परिभाषा– प्रत्येक व्यक्ति में कुछ ऐसी जन्मजात योग्यताएँ, क्षमताएँ अथवा प्रतिभाएँ होती हैं जो भविष्य में किसी क्षेत्र विशेष में सफलता प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती हैं। इन योग्यताओं को जैसे-जैसे अनुकूल वातावरण मिलता है इनमें निखार आने लगता है और यदि व्यक्ति विशेष योग्यताओं एवं क्षमताओं में शिक्षित किया जाए या प्रशिक्षण दिया जाए तो उनमें और अधिक निखार आता है परिणामतः व्यक्ति क्षेत्र विशेष में और अधिक सफलता प्राप्त करता है। इसकी जन्मजात एवं भविष्योन्मुखी योग्यताओं, क्षमताओं अथवा प्रतिभाओं को व्यक्ति की योग्यता कहते हैं। ट्रेक्सलर ने योग्यता को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है—
“योग्यता व्यक्ति की वह वर्तमान दशा है जो उसकी भविष्य की क्षमताओं की ओर संचार करती है । “
योग्यता व्यक्ति की विशिष्ट प्रकार की मानसिक योग्यताओं का योग होता है।
योग्यता जन्मजात एवं बीजभूत क्षमता होती है जो भविष्य की विशिष्ट योग्यताओं की ओर इंगित व्यक्ति विशेष की रुचि, रुझान एवं योग्यता को इंगित करती है जो उसके कार्य में भावी सफलता के लिए आवश्यक होती है। कोई बच्चा भविष्य में क्या बनेगा— संगीतज्ञ, डॉक्टर, इंजीनियर अथवा और कुछ यह उसकी योग्यता पर निर्भर करता है। जिस बच्चे में किसी भी प्रकार की योग्यता होती है वह उसी दिशा में विकास करता है। पर उसके लिए भी उचित वातावरण शिक्षण एवं प्रशिक्षण आवश्यक होता है। अतः योग्यता को बीजभूत योग्यता के रूप में ही परिभाषित करना चाहिए। हमारी दृष्टि से
“योग्यता मनुष्य की वह जन्मजात एवं बीजभूत योग्यता, क्षमता एवं प्रतिभा है जो वातावरण, शिक्षण एवं प्रशिक्षण के द्वारा विकसित होती है और जो व्यक्ति को क्षेत्र विशेष में सफलता प्रदान करती है । “
योग्यता की प्रकृति एवं विशेषताएँ–बिंघम ने योग्यता की प्रकृति को निम्नलिखित बिन्दुओं के रूप में स्पष्ट किया है—
(1) किसी व्यक्ति की योग्यता उसके वर्तमान गुणों का ऐसा समुच्चय है जो उसकी भावी क्षमताओं की ओर संकेत करता है ।
(2) योग्यता वर्तमान में होते हुए भी भविष्य की क्षमताओं का प्रतीक होती है।
(3) योग्यता का रुचि, रुझान तथा सन्तुष्टि से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।
(4) भिन्न-भिन्न व्यक्तियों की योग्यताएँ भिन्न-भिन्न एवं कम एवं अधिक होती हैं।
(5) किसी व्यक्ति की योग्यता उसके द्वारा किसी कार्य को करने की समयुक्तता (Fitness) को व्यक्त करती है ।
(6) योग्यता मूर्त वस्तु या योग्यता न होकर एक अमूर्त संज्ञा है जो व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के “एक विशेष गुण को व्यक्त करती है।
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