एक औपनिवेशिक शहर के रूप में बंबई शहर के विकास की समीक्षा करें।
एक औपनिवेशिक शहर के रूप में बंबई शहर के विकास की समीक्षा करें।
उत्तर ⇒ बंबई भारत का एक प्रमुख शहर था। सत्रहवीं शताब्दी में यह सात टापुओं का इलाका था। 1661 ई० में इंगलैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी से हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पुर्तगाल ने चार्ल्स द्वितीय को दहेज में बंबई दे दिया। बाद में चार्ल्स-11 ने बंबई को ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया। अपने व्यापार और राजनीतिक प्रभाव के विकास के क्रम में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई का विकास कर उसे महानगर में परिवर्तित कर दिया। बंबई का महत्त्व कपड़ा निर्यात केंद्र के रूप में था। अत: कंपनी ने पश्चिम भारत के प्रमुख बंदरगाह सूरत के स्थान पर बंबई को अपनी व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। 19वीं शताब्दी से बंबई का विकास एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में होने लगा। यहाँ से अफीम और कपास का निर्यात किया जाता था। व्यापार के विकास के साथ-साथ यहाँ प्रशासकीय गतिविधियाँ भी बढ़ गई। अत: यह पश्चिमी भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय भी बन गया। औद्योगिकीकरण का जब विकास हुआ तो बंबई बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में बदल गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई को बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी बनाई। इसके बाद बंबई का तेजी से विकास हुआ। शहर फैलने लगा, व्यापारी, कारीगर, उद्योगपति, दुकानदार, श्रमिक बड़ी संख्या में यहाँ आकर बसने लगे। इससे बंबई पश्चिमी भारत का सबसे प्रमुख नगर बन गया। औद्योगिकीकरण के कारण बंबई नगर का तेजी से विकास हुआ। 1854 में बंबई में पहली सूती मिल की स्थापना के साथ ही बंबई औद्योगिकीकरण के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ा।