“एक दिन सहसा/सूरज निकला’ की व्याख्या कीजिए।
“एक दिन सहसा/सूरज निकला’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी प्रयोगवादी विचारधारा के महान प्रवर्तक कवि अज्ञेय द्वारा लिखित ‘हिरोशिमा’ नामक शीर्षक से अवतरित है। प्रस्तुत अंश में हिरोशिमा में हुए बम विस्फोट के बाद दुष्परिणाम का जो अंश उपस्थित हुआ है उसी का मार्मिक चित्रण है। कवि कहना चाहते हैं कि जब हिरोशिमा में आण्विक आयुध का प्रयोग हुआ उस समय प्रकृति के शाश्वत तत्त्व भी कुंठित हो गये । सूरज जैसा ब्रह्माण्ड का शक्ति सम्पन्न तत्त्व भी अपनी प्रचण्डता को झुठला दिया । बम विस्फोट से निकलने वाली ज्वाला प्रकृति के सूरज को भी कई दिनों तक उगने से अवरुद्ध कर दिया। जबकि प्रकृति का सूरज अंतरिक्ष से निकलता है लेकिन बमरूपी सूरज धरती को फोड़कर केवल हिरोशिमा के चौक से निकला । प्रकृति का सूरज़ प्राणदाता के रूप में अवतरित होता है लेकिन आण्विक सूरज प्राण लेने वाला सूरज के रूप में निकला है।
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here