कविता में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जिसका अर्थ जानने की कोशिश करनी पड़े। यह कविता की भाषा की शक्ति है या सीमा ? स्पष्ट कीजिए।
कविता में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जिसका अर्थ जानने की कोशिश करनी पड़े। यह कविता की भाषा की शक्ति है या सीमा ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- के आलोक में यह स्पष्ट जाहिर होता है कि यह भाषा की शक्ति है क्योंकि भाषा को किसी सीमा में बाँधकर रखना भाषा के विकास पर पहरा देना है। भाषा के उन्मुक्त रहने से ही भाषा की व्यापकता संभव हो सकती हैं । अतः, यह कविता भाषा की सीमा नहीं होकर उसकी शक्ति है।
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