कवि भारतमाता को गीता-प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञानमूढ़ क्यों कहता है ?
कवि भारतमाता को गीता-प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञानमूढ़ क्यों कहता है ?
उत्तर :- परतंत्र भारत की ऐसी दुर्दशा हुई कि यहाँ के लोग खुद दिशाविहीन हो गये, दासता में बँधकर अपने अस्मिता को खो दिये । आत्म-निर्भरता समाप्त हो गई। इसलिए कवि कहता है कि भारतमाता गीता- प्रकाशिनी है, फिर भी आज ज्ञानमूढ़ बनी हुई है।
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