खेल को परिभाषित कीजिए।

खेल को परिभाषित कीजिए। 

उत्तर— खेल की परिभाषाएँ–अनेक विद्वानों ने खेल को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है—
पियाजे के अनुसार, “खेल में विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ निहित हैं जिनकी पुनरावृत्ति आनन्दमयी होती है। खेल में स्वतंत्रता होती है इसमें नियमों का बन्धन कठोर नहीं होता है।”
स्टैनले हॉल—”खेल वंशानुक्रम की शुद्धता अभिरुचि है।’
वैलेन्टाइन–”खेल के कार्य में एक प्रकार का आनन्द होता है।” एक क्रिया है,
मैक्डूगल—”खेल स्वयं अपने लिए की जाने वाली या खेल एक निरुद्देश्य क्रिया है जिसका कोई उद्देश्य नहीं होता है।” हरलॉक के अनुसार—”खेल वह कोई क्रिया होती है जो आनन्द प्राप्ति के लिए की जाती है परन्तु इसके अन्तिम परिणाम पर विचार नहीं किया जाता है। “
स्टर्न— “खेल स्वैच्छिक और आत्मकेन्द्रित क्रिया है।”
सी. पी. नन—“खेल सृजनात्मक क्रियाओं का व्यक्त रूप है।’ क्रो तथा क्रो–“ खेल वह क्रिया है जिसमें एक व्यक्ति उस समय व्यस्त होता है जब वह उस कार्य को करने के लिए स्वतंत्र होता है, जिस कार्य को वह करना चाहता है।”
रसेल–“खेल एक आनन्ददायक शारीरिक क्रिया, मानसिक क्रिया है जो अपने आप में पूर्ण है और जिसका कोई अव्यक्त लक्षण नहीं है।”
बी. एन. झा के अनुसार, “खेल जन्मजात एवं स्वाभाविक प्रवृत्ति है जिसके लिए किसी प्रकार की शिक्षा अथवा प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है। “
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