चेतना के तीन स्तरों का वर्णन कीजिए।
चेतना के तीन स्तरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर— मानव मस्तिष्क को पहले एक एक ही रूप, चेतन रूप में जाना जाता था। लेकिन मनोविज्ञान ने चेतन मस्तिष्क के साथ-साथ अचेतन व अर्द्धचेतन मन की बात भी की है। सबसे पहले फ्रायड ने अचेतन मस्तिष्क का विधिवत अध्ययन किया है। मनोविश्लेषणवाद में चेतना के निम्नलिखित तीन स्तर माने जाते हैं—
(1) चेतन – फ्रायड के अनुसार चेतन भाग बहुत कम होता है। चेतन मस्तिष्क का वह स्तर है जिसके अन्तर्गत मानव अपनी चेतना को विशेष वस्तु पर ही केन्द्रित करता है ।
(2) अर्द्ध चेतन – मानव मस्तिष्क की उस स्थिति को अर्द्धचेतन कहा जाता है जिसमें उसकी चेतना अस्पष्ट होती है। मानव पहले जिनको देख चुका या मिल चुका लेकिन उनकी स्मृति पुनः कुछ कठिनता से हो, ऐसी स्थिति अर्द्धचेतन की होती है ।
(3) अचेतन–अचेतन मस्तिष्क की खोज फ्रायड ने की है। अचेतन मस्तिष्क, मस्तिष्क का तो भाग होता ही है लेकिन वह चेतना से दूर रहता है। बाल्यकाल में अचेतना रहती है। मानव की जिन इच्छाओं की पूर्ति चेतनावस्था में पूरी नहीं हो पाती वे सभी अचेतनावस्था में सुप्त रूप से रहती ही हैं और कभी-कभी अप्रत्यक्ष रूप से चेतनावस्था में सामने आती रहती हैं। अचेतनावस्था में स्वप्न, विस्मृति, मनस्ताप, मनोविक्षिप्तता, सोते हुए समस्या समाधान, लिखने व बोलने में त्रुटियाँ आदि हो जाती हैं।
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