ज्ञान सम्बन्धित तथ्य को स्पष्ट कीजिए ।

ज्ञान सम्बन्धित तथ्य को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर— ज्ञान के विभिन्न तथ्य–ज्ञान के विभिन्न तथ्य निम्नलिखित है—
(1) स्थानीय ज्ञान—स्थानीय ज्ञान से तात्पर्य उस ज्ञान से है जो स्थान अर्थात् क्षेत्र विशेष से ही सम्बन्धित होता है। उदाहरण के लिए; जैसे—सभी कुओं का पानी खारा है। यह स्थानीय ज्ञान है क्योंकि यह ज्ञान हर जगह के कुओं पर लागू नहीं होता।
(2) स्कूली ज्ञान—स्कूल ज्ञान से तात्पर्य उस ज्ञान से है जो हम विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में प्राप्त करते हैं। यह वस्तुत: औपचारिक शिक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान होता है। जिस प्रकार औपचारिक शिक्षा निश्चित नियमों से बंधी होती है, उसी प्रकार स्कूली ज्ञान की सीमा निश्चित होती है। जैसे—विभिन्न तत्त्वों के रासायनिक गुण |
(3) स्कूल से बाहर ज्ञान—स्कूल में तो हम सीमित ज्ञान प्राप्त करते हैं, अपने स्कूली जीवन के साथ-साथ भी हम स्कूल से बाहर ज्ञान प्राप्त करते हैं और स्कूल छोड़ने के बाद भी जीवन भर ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस प्रकार के ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है। देखा जाए तो यहाँ अनौपचारिक शिक्षा की बात कही जा सकती है। हम जानते हैं कि शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है और हम निरन्तर औपचारिक व अनौपचारिक माध्यमों से शिक्षा प्राप्त करते हैं एवं विद्यालय जीवन के बाद भी अन्य माध्यमों (अनौपचारिक माध्यमों) से शिक्षा प्राप्त करते रहते हैं। यहाँ शिक्षा से तात्पर्य ज्ञान से है और हम अनौपचारिक माध्यमों से जीवन भर भी निरन्तर ज्ञान प्राप्त करते रहते हैं।
(4) सार्वभौमिक ज्ञान—सार्वभौमिक ज्ञान से तात्पर्य उस ज्ञान से है जो क्षेत्र विशेष से सम्बन्धित न होकर, पूरे संसार से सम्बन्धित होता | है। उदाहरण के लिए; जैसे—पानी को जमाने पर बर्फ बनती है, पानी को उबालने से पानी भाप में परिवर्तित हो जाता है। यह ज्ञान सार्वभौमिक ज्ञान है, क्योंकि यह संसार के सभी क्षेत्रों के लिए सत्य है।
(5) प्रत्यक्ष ज्ञान—प्रत्यक्ष ज्ञान से तात्पर्य उस ज्ञान से है जो हम इन्द्रियों द्वारा प्राप्त करते हैं और कोई भी व्यक्ति उसे इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष कर सकता है । जैसे— इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, बादल से वर्षा होती है, पानी उबलने पर भाप में परिवर्तित हो जाता है।
(6) प्रकरण सम्बन्धी ज्ञान—किसी पुस्तक में निहित ज्ञान के सम्बन्ध में इसका अर्थ है— पुस्तक के किसी अंश का ज्ञान, परन्तु अपने व्यापक रूप में इसका अर्थ है किसी विषय के कुछ सम्प्रत्ययों का ज्ञान; जैसे—मनोविज्ञान के क्षेत्र में बुद्धि के सम्प्रत्यय का ज्ञान ।
(7) सम्पूर्ण ग्रन्थ सम्बन्धी ज्ञान—किसी पुस्तक में निहित ज्ञान के सन्दर्भ में इसका अर्थ है, पुस्तक में निहित सम्पूर्ण सामग्री का ज्ञान, परन्तु अपने व्यापक रूप में इसका अर्थ है किसी प्रकरण का पूरा ज्ञान, जैसे— बुद्धि के सम्बन्ध में बुद्धि के सम्प्रत्यय, बुद्धि के स्वरूप, बुद्धि के प्रकार आदि का सम्पूर्ण ज्ञान ।
(8) अप्रत्यक्ष ज्ञान—अप्रत्यक्ष ज्ञान से तात्पर्य उस ज्ञान से है जिसे हम अन्य माध्यमों से प्राप्त करते हैं। अप्रत्यक्ष ज्ञान की इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष अनुभूति नहीं कर सकते हैं। जैसे—आत्मा अजर-अमर है, स्वर्ग में सुख है, नरक में दुःख है ।
(9) सैद्धान्तिक ज्ञान—इस वर्ग में वह सब ज्ञान आता है जिसे हम बुद्धि द्वारा प्राप्त करते हैं, तर्क के आधार पर प्राप्त करते हैं और यह सत्य भी हो सकता है, अर्द्ध सत्य भी हो सकता है और असत्य भी हो सकता है; जैसे—मनुष्य अपने पूर्व संस्कार लेकर पैदा होता है।
(10) प्रायोगिक ज्ञान—प्रायोगिक ज्ञान से तात्पर्य उस ज्ञान से है जो हम प्रयोगों के परिणाम के रूप में प्राप्त करते हैं और उसे कोई भी व्यक्ति इनकी प्रयोगों द्वारा सत्यता की जाँच कर सकता है, जैसेचुम्बक की छड़ को स्वतंत्र रूप से लटकाने पर वह उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकती है।
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