तकनीकी विकास का मुद्रण पर क्या प्रभाव पड़ा ?

तकनीकी विकास का मुद्रण पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर ⇒ जैसे-जैसे छपाई का प्रसार होता गया वैसे-वैसे छापाखाना में भी निरंतर सुधार किए गए ताकि कम श्रम, लागत और समय में अधिक-से-अधिक छपाई की जा सके। 18वीं सदी के अंतिम चरण तक धातु के बने छापाखाने काम करने लगे। 19वीं-20वीं सदी में छापाखाना में और अधिक तकनीकी सुधार किए गए। 19वीं शताब्दी में न्यूयॉर्क निवासी एम० ए० हो ने शक्ति चालित बेलनाकर प्रेस का इजाद किया। इसके द्वारा प्रतिघंटा आठ हजार ताव छापे जाने लगे। इससे मुद्रण में तेजी आई। इसी सदी के अंत तक ऑफसेट प्रेस भी व्यवहार में आया। इस छापाखाना द्वारा एक ही साथ छ: रंगों में छपाई की जा सकती थी। 20वीं सदी के आरंभ से बिजली संचालित प्रेस व्यवहार में आया। इसने छपाई को और गति प्रदान की।

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