दो महायुद्धों के बीच और 1945 के बाद औपनिवेशिक देशों में होनेवाले राष्ट्रीय आन्दोलनों पर एक निबंध लिखें।

दो महायुद्धों के बीच और 1945 के बाद औपनिवेशिक देशों में होनेवाले राष्ट्रीय आन्दोलनों पर एक निबंध लिखें।

उत्तर ⇒ प्रथम विश्वयुद्ध के समाप्त होते ही मित्र राष्ट्रों ने दुनिया के सभी राष्ट्रों के लिए जनतंत्र तथा राष्ट्रीय आत्मनिर्णय का एक नया यग आरम्भ करने का वचन दिया था। ब्रिटिश सरकार ने तो यह घोषणा कर दी थी कि स्वराज्य स्थापना के जिस सिद्धांतों के लिए हम लड़ रहे हैं उसे भारत सहित सभी उपनिवेशों में लागू कर क्रमशः एक जिम्मेवार सरकार की स्थापना की जायेगी। युद्ध प्रारंभ होने के समय निलक तथा गाँधी जैसे नेताओं ने ब्रिटिश सरकार को युद्ध में हर संभव सहायता न की। परन्तु युद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों ने उपनिवेशों में जनतंत्र लागू करने के बजाए इस पर और कठोर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया। रॉलेट एक्ट (1919) पारित होना तथा जालियांवाला बाग हत्याकाण्ड भारत में इसका उदाहरण है। 1029 की आर्थिक संकट के कारण उपनिवेशों का निर्यात घट गया। कषि सीटों के दाम घट गए फिर भी सरकार लगान की दर में कमी हेत तैयार नहीं भी दन सबसे उपनिवेशों में सरकार के प्रति घोर असंतोष राष्ट्रीय आंदोलन हेत जनता को प्रेरित कर रहा था। इसी वातावरण में 1930 ई० में भारत में सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटेन ने पुनः भारतीयों से युद्ध में सहयोग की अपेक्षा रखते हुए क्रमशः अगस्त प्रस्ताव तथा क्रिप्स मिशन भेजा। इन दोनों प्रस्ताव से बात नहीं बनी और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी।

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