नाम-कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है ?

नाम-कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है ?

उत्तर :- पुस्तक-पाठ, व्याकरण के ज्ञान का बखान, दंड-कमण्डल धारण करना, शिखा बढ़ाना, तीर्थ-भ्रमण, जटा बढ़ाना, तन में भस्म लगाना, वसनहीन होकर नग्न-रूप में घूमना इत्यादि के अनुसार नाम-कीर्तन के आगे व्यर्थ हैं।

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