निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :
निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :
“आसा मनसा सकल त्यागि के जग ते रहै निरासा।
काम क्रोध जेहि परसे नाहिन तेहि घट ब्रह्म निवासा।।”
उत्तर :- प्रस्तुत पद्यांश कवि गुरुनानक देव द्वारा रचित राम नाम बिनु विरुथे जगी जनमा पाठ से उद्धृत है।
उपर्युक्त पंक्तियों में संत कवि नानक कहते हैं कि जिसने आशा-आकांक्षा और सांसारिक मोह-माया का त्याग कर दिया है, जिसके जीवन में काम-क्रोध के लिए कोई स्थान नहीं है, अर्थात् जो विगत काम और क्रोधरहित है, उसकी अंतरात्मा में ब्रह्म का निवास होता है।
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