निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट करें

निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट करें

‘हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है,
जनता की रोके राह. समय में ताव कहाँ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुडता है।’

उत्तर :- प्रस्तुत पद्यांश में कवि रामधारी सिंह दिनकर ने जनता में निहित व्याप शक्ति को उजागर किया है। इसमें कहा गया है कि जनता जब जाग जाती है, अप शक्ति-बल का अभ्यास करके जब चल पड़ती है तब समय भी उसकी राह नहीरोक सकती बल्कि जनता ही जिधर चाहेगी कालचक्र को मोड़ सकती है। युगों-युग ‘ से अंधकारमय वातावरण में जीवन व्यतीत कर रही जनता अब जागृत हो चुकी है। युगों-युगों का स्वप्न साकार हेतु कदम बढ़ चुके हैं जिसे अब रोका नहीं जा सकता ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *