नैनोप्रौद्योगिकी (Nanotechnology)
नैनोप्रौद्योगिकी (Nanotechnology)
नैनोप्रौद्योगिकी (Nanotechnology)
नैनोप्रौद्योगिकी वह अनुप्रयुक्त विज्ञान है, जिसमें 1 नैनोमीटर परास की वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। वास्तव में, नैनोप्रौद्योगिकी का उपयोग विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी (जैसे वैद्युत परिपथ में एकल परमाणु तथा अणु, आदि) को बनाने में किया जाता है। इसका उपयोग मानव जाति की भलाई के लिए नैनोमेडिकल प्रौद्योगिकी में किया जाता है। अतः 1 नैनोवाट = 1.0 × 10-9 जूल/सेकण्ड ।
नैनोप्रौद्योगिकी की संकल्पना (Concept of Nanotechnology)
आजकल नैनोविज्ञान को भविष्य के लिए समझना जरूरी है, परन्तु यह वास्तव में हमारे जीवन तथा खनिज संसार की सभी प्रणालियों के लिए होती है। नैनो स्केल पर वस्तुओं के गुणों में परिवर्तन अस्मरणीय (unexpected) तरीका है। इस पैमाने पर अणुओं के व्यवहार का विज्ञान, सूक्ष्म संरचनाओं की आकृति तथा सभी उत्पादों के गुणों को निर्यागत करने के लिए नैनो संरचनाओं का उपयोग किया जाता है
कम्प्यूटर तकनीकी (जैसे क्वाण्टम यांत्रिकी, कैलकुलेटर, अणुओं की उत्तेजना, सांख्यिकी यांत्रिकी, आदि को समझने के लिए नैनो स्केल (पैमाना) घटना तथा अणुओं का आकर्षण जरूरी होता है।
◆ अल्बर्ट हिब्स तथा रिचर्ड फेनमैन ने नैनो रोबोटिक का सिद्धान्त प्रस्तुत किया था। अल्बर्ट हिब्स, रिचर्ड फेनमैन का पहला स्नातक विद्यार्थी था।
◆ मनुष्य का एक बाल 1,00,000 नैनोमीटर चौड़ा होता है, जबकि कार्बन नैनो ट्यूब का व्यास 2 नैनोमीटर से कम होता है। इसका अर्थ है कि नैनोट्यूब मनुष्यों के बाल से 50,000 गुना पतली होती है।
नैनोप्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग (Applications of Nanotechnology)
नैनोप्रौद्योगिकी मानव जाति तथा प्रकृति के लिए बहुत उपयोगी होती है।
सोलर सेल (Solar Cells)
नैनोप्रौद्योगिकी की सहायता से ऐसे सोलर सेल विकसित किए जाते हैं, जोकि परम्परागत (traditional) सिलिकॉन आधारित सोलर सेल से पाँच गुना ज्यादा प्रभावी होते हैं। यद्यपि ये केवल 6% सोलर ऊर्जा ग्रहण करते हैं तथा नयी प्रौद्योगिकी के पैनल 30% से ज्यादा सोलर ऊर्जा ग्रहण (capture) करते हैं। पृथ्वी की सतह के भीतर (अर्थात् 0.1% पर) नए सोलर सेल स्थापित करने पर यह खनिज तेल की ऊर्जा को खत्म कर देती है तथा छोटी सोलर सेल इतनी मुलायम होती है कि जो कपड़े हम पहनते हैं, उनके द्वारा उत्पन्न आवेश कम्प्यूटर तथा सेल फोन (मोबाइल) को आवेशित कर सकते है। ये सेल कार की बैट्री को आवेशित (charge) करने में भी सहायक होती हैं।
पीजोवैद्युत नैनो फेबरिक (piezoelectric nano fibres) का उपयोग दूरभाष यन्त्र (cell phone) तथा चलित दूरभाष यन्त्रों को आवेशित करने में किया जाता है।
ईंधन सेल (Fuel Cells)
नैनोप्रौद्योगिकी की सहायता से वैज्ञानिकों ने बहुत आसान तथा प्राप्त होने वाले ईंधन सेल द्वारा चलने वाले वैद्युत उपकरण तथा गाड़ियाँ बनायी । परम्परागत ईंधन सेल बैट्री पैक के सदृश्य होती है लेकिन इसमें आन्तरिक झिल्ली (membrane) होती है, जोकि शक्ति सप्लाई के द्वारा हाइड्रोजन से होकर गुजरती है। नैनोप्रौद्योगिकी के नियम के प्रयोग से झिल्ली को अधिक प्रभावशाली ( हल्का तथा उच्च शक्ति ईंधन सेल) बनाया जा सकता है।
सुलभ चिकित्सा परीक्षण (Accessible Medical Testing)
मलेरिया के परीक्षण में अच्छा परिणाम प्राप्त करने के लिए अभिकर्मकों (reagents) को प्रशीतक (refrigerator) में रखा जाता है। यदि अभिकर्मकों को प्रशीतक में नहीं रखा जाए, तो ये एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। इस समस्या को सुलझाने के लिए US आधारित माइक्रोनिक्स संगठन ने डी एक्स बॉक्स (DX BOX) विकसित किया। अतः दवाईयों के परीक्षण करने की किट डी एक्स बाक्स (DX BOX) क्रेडिट कार्ड से बड़ी नहीं होती है। अतः सूखे अभिकर्मकों तथा सूक्ष्म मिश्रण को एक कार्ड के मुँह पर लगाते हैं जिसका उपयोग डॉक्टर प्रशीतिकरण तथा अन्य विशेष पूर्तियों के बिना खून की जाँच करने में करते हैं।
डी एक्स बॉक्स (DX BOX) परीक्षण उपकरण का उपयोग केवल मलेरिया तथा क्षय रोग के प्रयोग के लिए ही नहीं बल्कि दूसरी आधी दर्जन बिमारियों के प्रयोग में भी बहुत आसानी से किया जाता है।
विषाक्त तत्वों को हटाना (Removal of Toxic Elements)
नैनो चुम्बक (अति सूक्ष्मीय चुम्बकीय कण) पानी में आर्सेनिक को आसानी से पकड़ सकती है, जिसके कारण पानी पीने योग्य हो जाता है। इस तकनीक के द्वारा पानी से आर्सेनिक की 99% अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं। कार्बन आधारित वाटर फिल्टर के मुकाबले आयरन आधारित नैनो फिल्टर ज्यादा प्रभावशाली तथा सस्ते होते हैं। ये बहुत छोटे आयरन कण मैम्ब्रेन बैरियर में भूमि से सप्लाई होने वाले पानी को परम्परागत पम्पिंग तकनीकी से जल्दी और आसानी से साफ कर देते हैं। सूक्ष्मदर्शी आयरन कणों की सहायता से गन्दे पानी में उपस्थित अधिक मात्रा; जैसे क्लोरीन, मरकरी या अन्य अशुद्धियों को साफ किया जाता है।
श्रेष्ठ कैंसर उपचार ( A Better Cancer Treatment)
आधुनिक रसायन चिकित्सा (chemotherapy) बहुत ही प्रभावशाली तकनीक है जिसके माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोका जाता है। दुर्भाग्यवश, कुछ रासायनिक दवाईयाँ, कैंसर को खत्म करती हैं तथा कुछ शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती हैं जिसमें मरीज ज्यादा कमजोर हो जाता है जिससे उसे दर्द तथा उल्टी होने लगती है। औषधि क्षेत्र में, नैनो कणों का शरीर में अलग से एक विशेष स्थान है। प्रतिदीप्ति अर्द्धचालक क्रिस्टलों के उपयोग से शोध छात्रों ने कोलोन में प्राथमिक कैंसर कोशिकाओं के उपचार तथा बचाव में अनुसंधान किया है।
नैनोप्रौद्योगिकी तथा एयरोस्पेस या अन्तरिक्षयान (Nanotechnology and Aerospace)
वायुयान को बनाने में हल्के तथा शक्तिशाली पदार्थ का प्रयोग करते हैं, जिसके कारण यह अच्छे परिणाम देते हैं, जहाँ पर भार मुख्य कारक होता है। अन्तरिक्षयान भी बहुत उपयोगी होते हैं। नैनोप्रौद्योगिकी पदार्थों का आकार छोटा करने में तथा वायु हॉर्न में ईंधन को कम खर्च करने में सहायक होते हैं
नैनो रोबोट्स (Nano Robots)
नैनो रोबोट्स विशेष रोगग्रस्त सेलों से निर्मित होता है तथा यह एण्टीबॉडी की भाँति कार्य करता है। नैनो रोबोट के द्वारा सेलों की मरम्मत तथा उन्हें बदला जा सकता है।
भारत में नैनोप्रौद्योगिकी (Nanotechnology in India)
2005 के बाद, जब से यह तीन कलाओं (phases) में कार्य करती है, तब से भारत में नैनोप्रौद्योगिकी अधिक विकसित (emerged) हुई है।
◆ ज्ञान का उत्पादन
◆ ज्ञान का स्थानान्तरण
◆ ज्ञान का अनुप्रयोग
भारत में, 17 पब्लिक सेक्टर अनुसंधान केन्द्र हैं; जैसे TERI यहाँ 11 नैनोविज्ञान की क्रियात्मक इकाई, 7 नैनो तकनीकी केन्द्र तथा 1 अभिकलन धातु ( computational material) विज्ञान केन्द्र है।
नैनो मिशन की भविष्य की सम्भावनाएँ (Future Prospects of Nano Mission)
नैनोप्रौद्योगिकी को दो सुझाव समूहों द्वारा बताया गया है, जो नीचे दिए गए हैं
(i) नैनो विज्ञान सुझाव समूह (NSAG)
(ii) नैनो अनुप्रयोग तथा तकनीकी सुझाव समूह (NATAG)
नैनो मिशन के भविष्य की सम्भावनाएँ निम्नलिखित हैं
◆ अनुसंधान विकास
◆ नैनो तकनीकी की आधार संरचना का विकास
◆ नैनो विकास केन्द्र की स्थापना
◆ नैनो तकनीकी में मानव जाति का विकास
◆ नैनो तकनीकी में अन्तर्राष्ट्रीय सहायता
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