पठन व्यूहरचना के रूप में प्रारम्भिक पठन को उच्च कोटि का बनाने की गतिविधियों का उल्लेख कीजिए ।
पठन व्यूहरचना के रूप में प्रारम्भिक पठन को उच्च कोटि का बनाने की गतिविधियों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर— पठन व्यूहरचना के रूप में प्रारम्भिक पठन को प्रभावी एवं सर्वोत्तम बनाने के सामान्य उपाय एवं गतिविधियों को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है—
(1) पूर्ण अनुच्छेद का पठन—छात्राध्यापकों को यह ध्यान रखना चाहिये कि वह किसी भी समाचार पत्र एवं पत्रिका के अनुच्छेद के पठन को एक बार में ही सम्पन्न करे क्योंकि पूर्ण अनुच्छेद के उसका मूल भावार्थ समझ में आता है। अनुच्छेद का आकार यदि बड़ा है तो उसको विभाजित करने का प्रयास करना चाहिये। सामान्य रूप से अनुच्छेदों को एक बार में ही पढ़ा जा सकता है। पूर्ण अनुच्छेद के पठन से ही उसके मूल भाव को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है तथा उस पर अपने विचार भी प्रकट किये जा सकते हैं।
(2) शब्दों एवं वाक्यों का विश्लेषण—अनुच्छेद में समाहित वाक्य एवं शब्द सारगर्भित होते हैं। इन सारगर्भित वाक्यों एवं शब्दों का व्यापक अर्थ समझे बिना अनुच्छेद के मूल भाव को नहीं समझा जा सकता । अतः सारगर्भित एवं साहित्यिक शब्दों का विश्लेषण करना चाहिये । विश्लेषण की प्रक्रिया के आधार पर ही सर्वोत्तम प्रारम्भिक पठन की प्रक्रिया सम्पन्न होती है । इस प्रकार प्रत्येक छात्राध्यापक को विश्लेषण की प्रक्रिया पठन में अवश्य सम्पन्न करनी चाहिये।
(3) वाक्य एवं शब्दों का रेखांकन—अनुच्छेद में आने वाले महत्त्वपूर्ण शब्दों एवं वाक्यों का रेखांकन कर लेना चाहिये । रेखांकन होने पर छात्राध्यापकों को यह ज्ञात हो जाता है कि अनुच्छेद में कौन-कौनसे वाक्य एवं शब्द महत्त्वपूर्ण हैं । रेखांकित वाक्यों एवं शब्दों के आधार पर ही अनुच्छेद के मूल भाव को समझा जा सकता है।
(4) प्रशिक्षक का निर्देशन—अनुच्छेद के पठन में अनेक शब्द एवं वाक्य ऐसे होते हैं जो कि महत्त्वपूर्ण एवं सारगर्भित होते हैं, उनका अर्थ समझे बिना अनुच्छेद के मूल भाव को नहीं समझा जा सकता है। ऐसी दशा में छात्राध्यापकों को प्रशिक्षक की सहायता लेनी चाहिये । प्रशिक्षक की सहायता से ही इन शब्दों एवं वाक्यों के भावों को समझा जा सकता है । इसके साथ-साथ छात्राध्यापकों को अपने समूह से भी सहायता प्राप्त करनी चाहिये । इस प्रकार की स्थिति में सर्वोत्तम प्रारम्भिक पठन सम्भव होता है क्योंकि छात्राध्यापक प्रशिक्षक एवं साथियों के सहयोग से अनुच्छेद के मूल भाव को समझ लेते हैं ।
(5) सारतत्त्व के लिये संश्लेषण—विभिन्न अवसरों पर यह देखा जाता है कि अनुच्छेद में कुछ प्रमुख बिन्दुओं की व्यापक रूप से चर्चा की जाती है। इन व्यापक चर्चा वाले प्रकरणों को सार रूप में पढ़ने के लिये संश्लेषण की प्रक्रिया को अपनाना जाना चाहिये । संश्लेषण की प्रक्रिया से व्यापक अनुच्छेद का सारतत्त्व कम से कम शब्दों में मानसिक पटल पर अंकित हो जाता है ।
(6) अनुच्छेद के मूल भाव पर ध्यान—अनुच्छेद के मूल भाव को प्रारम्भिक पठन में ही समझ लेना चाहिये । मूल भाव को समझने के लिये छात्राध्यापकों द्वारा अनुच्छेद के अर्थ एवं दृश्यों को आत्मसात् करते हुए पढ़ना चाहिये। अनुच्छेद के अर्थ एवं दृश्य की कल्पना से यह तथ्य पता चल जाता है कि अनुच्छेद में किस तथ्य एवं भाव की ओर संकेत किया गया है।
(7) अनुच्छेद के उद्देश्यों पर ध्यान—प्रारम्भिक पठन करते समय अनुच्छेद के उद्देश्यों को समझ लेना चाहिये । सामान्यतः उद्देश्य शीर्षक से ही पता चल जाता है परन्तु वास्तविक गतिविधियों एवं परिणामों के सन्दर्भ में उद्देश्य का ज्ञान पठन के पश्चात् होता है, जैसे—पर्यावरणीय संरक्षण के अनुच्छेद के पठन से पूर्व यह ज्ञान शीर्षक देखकर हो जाता है इसका उद्देश्य पर्यावरण को सन्तुलित एवं संरक्षण बनाना है।
(8) राष्ट्रीय हित पर ध्यान—अनुच्छेद के पठन में राष्ट्रीय हित पर ध्यान देना चाहिये क्योंकि पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित अनुच्छेदों का सम्बन्ध राष्ट्रीय हित से होता है। प्रथम पठन में ही छात्राध्यापक को यह समझना चाहिये कि इस अनुच्छेद में कौन-कौनसे तथ्य ऐसे हैं जो राष्ट्रीय हित की तरफ संकेत करते हैं। इन सभी को रेखांकित करते हुए उन पर विचार करना चाहिये। इस प्रकार एक ओर अनुच्छेद का सर्वोत्तम पठन होगा तथा दूसरी ओर राष्ट्रीय हित सम्पन्न होगा।
(9) व्यक्तिगत उपयोगिता पर ध्यान—अनुच्छेद पठन के समय छात्राध्यापक को उसमें व्यक्तिगत हित के सन्दर्भ में भी ध्यान देना चाहिये; जैसे—बालिका शिक्षा प्रोत्साहन पर अनुच्छेद निकलता है तो छात्राध्यापक की बहन या उसकी बेटी भी उससे लाभान्वित हो सकती है। अतः उसके पारिवारिक एवं व्यक्तिगत जीवन में यह अनुच्छेद उपयोगी सिद्ध होगा। इसी क्रम में प्रत्येक अनुच्छेद का पठन करना चाहिये। अनुच्छेद का सम्बन्ध प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत जीवन से होता है ।
(10) अनुच्छेद की समीक्षा—अनुच्छेद के प्रारम्भिक पठन में ही उसकी समीक्षा का कार्य सम्पन्न करते रहना चाहिये। समीक्षा के अन्तर्गत अनुच्छेद का क्रमबद्ध अध्ययन करना चाहिये । उसमें सम्पन्न की जाने वाली गतिविधियों की समीक्षा करनी चाहिये एवं अनुच्छेद के उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधनों पर भी मनन एवं चिन्तन करना चाहिये । अतः विभिन्न तथ्यों को प्रारम्भिक पठन में ही स्पष्ट रूप से समझकर उनकी समीक्षा करनी चाहिये ।
(11) सामाजिक उपयोगिता पर ध्यान—प्रारम्भिक पठन में छात्राध्यापकों को अनुच्छेद की सामाजिक उपयोगिता के सम्बन्ध में समझ लेना चाहिये क्योंकि प्रत्येक अनुच्छेद सामाजिक समस्याओं का समाधान एवं समाज के उन्नयन से सम्बन्धित होता है। जब एक पाठक उसकी सामाजिक उपयोगिता को समझते हुए पठन करेगा तो एक ओर उसके द्वारा सर्वोत्तम प्रारम्भिक पठन सम्भव होगा तथा दूसरी ओर वह अनुच्छेद के माध्यम से सामाजिक हित में कार्य करना प्रारम्भ कर सकेगा उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रत्येक अनुच्छेद का प्रारम्भिक पठन जितना अधिक प्रभावी होगा उतना ही उस अनुच्छेद के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकेगा।
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