परिवार की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

परिवार की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर– परिवार की प्रमुख विशेषताएँ-परिवार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–

( 1 ) पति-पत्नी का सम्बन्ध– पति-पत्नी के बीच यौन सम्बन्ध ही परिवार का आधार होता है। इसके बिना परिवार का कोई अस्तित्व ही नहीं होता है। वंश को आगे बढ़ाना परिवार का प्रमुख कार्य है। दोनों एक दूसरे के पूरक के रूप में होते हैं। किसी का भी योगदान कम या अधिक नहीं होता बल्कि कहा जा सकता है कि बच्चे बिना पुरुष के पैदा नहीं हो सकते पर बिना महिला के वह बच्चा अच्छी तरह पल नहीं सकता। इस आधार पर जैविक और मनोवैज्ञानिक रूप से विकास करने के लिए स्त्री का होना पुरुष की तुलना में ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।
( 2 ) वैध यौन सम्बन्ध — विवाह के बाद यौन सम्बन्ध को समाज की स्वीकृति मिल जाती है। विवाह से पहले पुरुष और स्त्री यदि यौन सम्बन्ध बनाते भी है तो यह वैध नहीं माना जाता और यदि बच्चा भी पैदा ही जाए तो वह परिवार नहीं माना जाता। स्त्री और पुरुष दोनों में कामेच्छा पाई जाती है और लैंगिक विविधता के कारण दोनों एक-दूसरे की यौन इच्छा की पूर्ति करते हैं।
(3) रक्त सम्बन्ध –  जो भी बच्चे पैदा होते हैं उनमें आपस में और माँ-बाप में रक्त सम्बन्ध पाया जाता है।
(4) निश्चित निवास स्थान – निवास स्थान लगभग निश्चित ही होता है परन्तु कुछेक दशाओं में जैसे नौकरी के लिए अन्यत्र बसना आदि के कारण परिवार समाप्त नहीं हो जाता।
(5) आर्थिक सुरक्षा परिवार में श्रम विभाजन होता है। इसी ‘विभाजन के फलस्वरूप विभिन्न सदस्यों को कई प्रकार की जिम्मेदारियाँ निभानी पड़ती हैं। इसी जिम्मेदारी के आधार पर उनकी परिवार में स्थिति तय हो जाती है। पुरुष और महिला लैंगिक असमानता का जन्म इसी श्रम विभाजन के फलस्वरूप ही होता है। स्त्रियों को खाने-पीने की व्यवस्था और घर का प्रबन्धन का कार्य दिए जाने के कारण ही उनको घर की चहारीदिवारी में रहना पड़ता है।
(6) सामाजिक सुरक्षा-परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे को सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करते हैं। सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में पुरुष महिलाओं की रक्षा करते हैं और उन्हें समाज के अन्य लोगों से बचाते हैं। इसी सामाजिक सुरक्षा के कारण पुरुषों का वर्चस्व कायम हो गया और स्त्रियाँ पुरुषों पर निर्भर हो गईं।
(7) सभ्यता और संस्कृति का संवाहक परिवार को सभ्यता और संस्कृति का संवाहक माना गया है। इसी भूमिका में स्त्रियों को ज्यादा रखा गया और तरह-तरह के अनुष्ठानों, व्रत, पूजा-पाठ, संस्कार आदि के लिये स्त्रियों को जिम्मेदार बनाया गया जिसके कारण महिलाओं को परम्परागत रूप से यह कार्य करना पड़ रहा है।
(8) भावात्मक आधार-प्रेम, यौन सम्बन्ध, दया, ममता, सहयोग आदि भावनाओं को एक महत्त्वपूर्ण आधार देता है परिवार। सभी बच्चे परिवार से ही इन भावनाओं को सीखना आरम्भ करते हैं।
(9) परिवार वास्तविक सदस्यों से मिलकर बनता है– परिवार में अपने रक्त सम्बन्ध और शादी-शुदा लोग ही शामिल होते हैं। बाहर का कोई भी सदस्य इसकी सदस्यता प्राप्त नहीं कर सकता।
( 10 ) स्थायी प्रकृति – परिवार की प्रकृति स्थायी होती है क्योंकि  इसके सदस्य स्थाई  होते हैं।
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