प्रथम पद के आधार पर बताएँ कि कवि ने अपने युग में धर्म साधना के कैसे-कैसे रूप देखे थे ?
प्रथम पद के आधार पर बताएँ कि कवि ने अपने युग में धर्म साधना के कैसे-कैसे रूप देखे थे ?
उत्तर :- प्रथम पद में कवि के अनुसार शिखा बढ़ाना, ग्रंथों का पाठ करना, व्याकरण वाचना भस्म रमाकर साधुवेश धारण करना, तीर्थ करना, दंड कमण्डलधारी होना, वस्त्र त्याग करके नग्नरूप में घूमना कवि के युग में धर्म-साधना के रूप रहे हैं।
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