बिहार की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखें।
बिहार की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखें।
उत्तर- (i) सोन नदी घाटी परियोजना- यह परियोजना बिहार की सबसे पुरानी तथा पहली नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना का विकास अंग्रेज सरकार द्वारा 1874 ई० में हआ। इसमें डेहरी के निकट से पूरब एवं पश्चिम की ओर नहरें निकाली गई हैं। इसकी कल लम्बाई 130 कि०मी० है। इस नहर से पटना एवं गया जिले में कई शाखाएँ तथा उपशाखाएँ निकाली गई हैं जिससे औरंगाबाद, भोजपुर, बक्सर, रोहतास जिले की भमि सिंचित की जाती है। वर्तमान में इससे कुल 4.5 लाख हक्टयर खेतों की सिंचाई की जाती है। सूखा प्रभावित क्षेत्र की सिंचाई की सविधा प्राप्त होने से बिहार का दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का प्रति हेक्टेयर उत्पादन का व्यय बढ़ गया है और चावल की अधिक खेती होने लगी है। इस कारण से इस क्षेत्र को चावल का कटोरा कहते हैं।
(ii) गंडक नदी घाटी परियोजना- इस परियोजना का निर्माण गंडक नदी पर हुआ तथा इसका मुख्यालय वाल्मीकिनगर है। इस परियोजना द्वारा गंडक नदी क्षेत्र की विशाल भूमि पर सिंचाई तथा विद्यत उत्पादन होता है। इसमें मुख्यतः पूर्वी एवं पश्चिमी चम्पारण, भैंसालोटन (वाल्मीकिनगर), वीरपर आदि के क्षेत्र आते हैं। परियोजना से पूर्व यह क्षेत्र गंडक की व्यापक विनाशलीला से संत्रस्त था। परियोजना के निर्माण के बाद इस क्षेत्र की सर्वतोमुखी विकास हुआ है।
(iii) कोसी नदी घाटी परियोजना- इस परियोजना का प्रारंभ 1955 में बिहार के पूर्वांचल क्षेत्र में किया गया। कोसी नदी द्वारा इस क्षेत्र में भयानक बाढ़ एवं तबाही आती थी। कोसी नदी निरन्तर अपनी धारा बदलती रहती थी। अतः इसे ‘बिहार का शोक’ कहते थे। परियोजना के निर्माण के पश्चात कोसी नदी वरदान स्वरूप अपनी निर्मल धारा से कोशी क्षेत्र की समृद्धि में योगदान कर रही है। इसके अन्तर्गत पड़ने वाले क्षेत्र मुख्यतः पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, फारबिसगंज आदि अब निरंतर तीव्र विकास की ओर अग्रसर हैं। बिहार सरकार ने कोसी में नहरों तथा विद्युत उत्पादन की दिशा में व्यापक कार्ययोजना तैयार की है।