बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण हैं ? बिहार के पिछडेपन को दूर करने के उपायों को लिखें।
बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण हैं ? बिहार के पिछडेपन को दूर करने के उपायों को लिखें।
उत्तर- बिहार में पिछड़ेपन के निम्नलिखित कारण हैं –
(i) तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या- बिहार में तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। 2011 की जनगणना के अनुशार यहाँ की जनसंख्या 10,38,04,637 करोड़ हो गयी है। बढ़ती जनसंख्या विकास में बड़ी बाधा है।
(ii) धीमी कृषि का विकास-राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहाँ की कृषि व्यवस्था उन्नत नहीं है। जिससे कृषि पिछड़ा हुई है
(iii) उद्योग धंधों का अभाव- झारखण्ड के अलग होने से अधिकांश उघोग-अंधे झारखंड चले गये हैं. जो पिछडापन का मख्य कारण है।
(iv) बाढ एवं सूखा से क्षति- बिहार को बाढ़ एवं सूखा से प्रतिवर्ष काफी क्षति उठानी पडती हैं। प्रत्येक वर्ष सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा आदि जिलों में बाढ़ तथा सूखा की स्थिति देखने को मिलती है।
(v) गरीबी- बिहार भारत के बीमारू राज्यों में से एक है। प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम है। इस प्रकार यहाँ गरीबी का कुचक्र चलता रहता है
(vi) प्राकतिक साधनों के समुचित उपयोग का अभाव –बिहार है। उपलब्ध प्राकृतिक साधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। झारखण्ड के अलग हो जाने के बाद यहाँ वन एवं खनिज की कमी हो गयी है। इसव पिछड़ापन का शिकार है।
(vii) कुशल प्रशासन का अभाव- बिहार में प्रशासन व्यवस्था की स्थति भी काफी खराब है।
पिछड़ापन दूर करने के उपाय- बिहार का आर्थिक पिछडापन आर्थिक,समाजिक एव राजनैतिक कारणों का संयुक्त परिणाम है तथा इसके संवृद्धि एवं कृषि एवं ग्राम-प्रधान राज्य है। अत: कृषि के विकास अत: कृषि के विकास और आधुनिकीकरण के बिना राज्य की संवद्धि संभव नहीं है। बिहार में कृषि वर्तमान स्थिति अत्यंत शोचनीय है। इसमें सुधार के लिए भूमि सुधार कार्यक्रमों का प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन, सिंचाई-सुविधाओं का विस्तार, कृषि कार्यो के लिए पर्याप्त बिजली की आपूर्ति तथा बाढ़ और जल जमाव की समस्याओं का समाधान आवश्यक है। बिहार की भूमि उर्वर है और यहाँ कई प्रकार की व्यावसायिक फसलों का उत्पादन होता है। अतएव, इसके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को विकसित करना भी आवश्यक है।