बिहार में कार्यरत विभिन्न गैर संस्थागत एवं संस्थागत वित्तीय संस्थाओं की विवेचना कीजिए।

बिहार में कार्यरत विभिन्न गैर संस्थागत एवं संस्थागत वित्तीय संस्थाओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर-वित्तीय संस्थाओं में ऐसी सभी संस्थाओं को शामिल किया जाता है जो जरूरतमंद लोगों को ऋण देने का कार्य करती हैं। ये संस्थाएँ दो प्रकार की होती हैं।

(i) गैर संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ-  इसमें हम साहूकार, महाजन आदि को शामिल करते हैं लेकिन इन पर सरकार व रिजर्व बैंक का नियंत्रण नहीं होता है। गैर संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ–वर्तमान समय में बिहार में गैर संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर. रही हैं, क्योंकि अशिक्षा व गरीबी के कारण गाँव में रहने वाले किसान अपनी जरूरतों के लिए आज भी ऋण इन्हीं साहूकार व महाजनों से ले रहे हैं। इनसे ऋण उन्हें शीघ्र व आसानी से प्राप्त हो जाता है। साथ ही उन्हें कोई कागजी कार्यवाही नहीं करनी पड़ती है।

(ii) संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ – इसमें बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, राज्य वित्तीय निगम आदि को शामिल किया जाता है। इन पर रिजर्व बैंक व सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है। संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ-आज बिहार प्रदेश में संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। राष्ट्रीयकृत बैंक अपनी शाखाओं का निरन्तर विस्तार कर रही हैं। अपनी अधिकांश शाखाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में खोल रही हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक तथा सहकारी साख समितियाँ भी किसानों को अल्पकालीन व दीर्घकालीन ऋण प्रदान कर रही हैं। इन्होंने ऋण देने की प्रक्रिया सरल कर कागजी कार्यवाही कम कर दी है।

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