बिहार में नगर विकास पर एक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
बिहार में नगर विकास पर एक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- बिहार के अधिकांश प्रमुख नगर किसी न किसी नदी के किनारे विकसित हुए हैं। प्राचीन नगरों का विकास राजधानी शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थल अशा व्यापारिक केंद्र के रूप में हुआ है। इनमें पाटलिपुत्र, नालंदा, राजगीर, गया, वैशाली, बोधगया, उदवंतपुरी, सीतामढ़ी आदि प्राचीन नगरों के उदाहरण है। मध्यकाल में सासाराम, दरभंगा, पूर्णिया, छपरा, सिवान आदि शहरों का विकास सड़कों के विकास तथा प्रशासनिक कारणों से हुआ था। ब्रिटिशकाल में रेल एवं सडक मार्गों का विकास हुआ जिसके फलस्वरूप सड़कों के किनारे नगर विकसित होने लगे। कुछ नगरों का विकास उस समय रेल व्यवस्था के कारण भी हुआ। स्वतंत्रता के बाद बिहार में नगरों के विकास में तेजी आयी। राज्य में औद्योगिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा जीवन के मौलिक सुविधाओं के विकास के कारण कई नये नगर भी विकसित हुए। इनमें बरौनी, हाजीपुर, दानापुर, डालमियानगर, मुंगेर, जमालपुर, कटिहार आदि हैं। फिर भी आज के बिहार में नगरों का विकास भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत ही कम हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की नगरीय आबादी मात्र 11.29 प्रतिशत है। जबकि भारत की नगरीय जनसंख्या 31.16 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बिहार में एक लाख से अधिक आबादी वाले नगरों की संख्या केवल 28 है। दस लाख से ऊपर केवल पटना नगर की जनसंख्या है। यहाँ नगरीय बस्तियों की संख्या 131 है।