भारत के विशेष संदर्भ में कोविड-19 महामारी के फैलाव के बाद आत्मनिर रोजगार योजना’ के हाल की प्रमुख विशेषताओं एवं प्रावधानों का का परीक्षण किजिए।
भारत के विशेष संदर्भ में कोविड-19 महामारी के फैलाव के बाद आत्मनिर रोजगार योजना’ के हाल की प्रमुख विशेषताओं एवं प्रावधानों का का परीक्षण किजिए।
उत्तर – ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मतलब है कि “हम भारत को ऐसा देश बनाने की बात कर रहे है जहाँ भारत की किसी भी चीज के लिए दुनिया के किसी भी देश पर निर्भर न रहना पड़े चाहे वो नई तकनीकी हो, इलेक्ट्रानिक उपकरण, दवाई, मशीनों, खाद्य पदार्थ या सैनिक हथियार हों।” ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान देश को कोरोना संकट से हुए नुकसान से बाहर निकालने के लिए आरंभ किया गया एक प्रयास है। भारत सरकार ने 9 दिसंबर, 2020 में हुई कैबिनेट की मीटिंग में ‘आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना’ को मंजूरी दी है। इस योजना के लिए भारत सरकार ने कुल 22510 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। इस योजना के जरिए करीब 58 लाख से अधिक नए कर्मचारियों को लाभ प्राप्त हो सकेगा और वे आत्मनिर्भर भारत रोजगार अभियान के अंतर्गत लाभान्वित हो पायेगे। कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन से लगभग सभी क्षेत्रों में कार्य प्रभावित हुए थे। करोड़ो लोगों की नौकरियाँ चली गई थी। देश में इस दौरान बहुत ही भारी बेरोजगारी आ चुकी थी। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना कई लोगों के लिए एक राहत हो सकती है। इस योजना के अंतर्गत भारत में लगभग सभी जगहों पर पब्लिक डाटा ऑफिस खोले जाएंगे। आत्मनिर्भर भारत को अलग-अलग चरणों में लागू किया गया है। इस अभियान के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के कल्याण के लिए प्रमुख 16 घोषणाएँ की गईं। गरीबों, श्रमिकों और किसानों के लिए अनेक घोषणाएँ की गई जिन्हें 3 चरणों में लागू किया जाएगा। प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा। तीसरे चरण में व्यापार और निवेश जैसे 12 योजनाओं को लागू किया जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के पाँच स्तम्भ
1. अर्थव्यवस्थाः एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो छोटे-छोटे परिवर्तन (इंक्रिमेंटल चेंज) नहीं, बल्कि ऊँची छलांग लाए।
2. बुनियादी ढाँचा: एक ऐसा बुनियादी ढाँचा, जो आधुनिक भारत की पहचान बने । विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर सके।
3. प्रौद्योगिकी: एक ऐसा सिस्टम, जिसमें आधुनिक तकनीक को अपनाने और समाज में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना शामिल है।
4. जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी): भारत की जीवन्त जनसांख्यिकी हमारी ताकत है। आत्मनिर्भर भारत में इसका अहम भूमिका है।
5. माँग: भारत के पास बड़ा घरेलू बाजार और माँग है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।
विकास के इन पांच स्तम्भों को गति देने के लिए
चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए या भारत में निवेश बढ़ाने के लिए चीन स्थित विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए भारत को विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा। भारत में भूमि, पानी और बिजली क्षेत्र में सुधारों की जरूरत है। भारत में विदेशी कंपनियों के लिए हमेशा से एक बाधा बुनियादी ढांचे की कमी रही है। आलोचकों का मानना है कि योजनाएं तो बहुत हैं लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स भारत में अभी भी पर्याप्त नहीं हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स में सालों लग जाते हैं और भारत के पास अर्थव्यवस्था को उभारने का अब इतना समय नहीं है ।
सरकार ने प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग की बात कही है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक को अपनाना और समाज में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना शामिल है। लेकिन चिंता की बात है कि 2.7 ट्रिलियन डॉलर की भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था 2% से भी कम दर पर बढ़ रही है जो अब तक की सबसे कम वृद्धि दर है। कोरोना काल में ग्लोबल सप्लाई चेन कमजोर पड़ी हैं, वैल्यू चेन हैं लेकिन ऐसी नहीं है जो चीन के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।
वित्तमंत्री ने अपने पैकेज घोषणा के दौरान देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने पर काफी जोर दिया, लेकिन उन्होंने इस बारे में उपार्जन के उपायों को स्पष्ट नहीं बताया कि इसे संभव कैसे किया जाएगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने देश के संबोधन में कहा कि यह अभियान पाँच स्तंभों की मजबूती पर आधारित होगा- अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढाँचा प्रणाली, जीवंत लोकतंत्र और माँग । पर देखना होगा कि क्या भारत में ये पांच स्तंभ जमीनी स्तर पर अच्छी स्थिति में हैं?
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘हमें लोकल चीजों को लेकर वोकल होना चाहिए, ‘ यानी भारतीयों को स्थानीय चीजों के बारे में ज्यादा बात करनी चाहिए और खुलकर बात करनी चाहिए । ‘लोकल फोर वोकल’ एक नारे के रूप में यह सुनना बहुत अच्छा लगता है। लेकिन 130 करोड़ भारतीयों में कितने लोकल को अहमियत देते हैं, इसी से इसकी सफलता का अंदाजा लगा सकते हैं। कहने का आशय है कि विदेशी सामानों की प्रतिस्पर्धा में हम फीसड्डी रह जाते हैं। आत्मनिर्भरता वैसे भी हर देश का एक वांछित सपना होता है। लेकिन इस काम के क्रियान्वयन में हमारी सरकारें लड़खड़ाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर सबसे चर्चित प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्मार्ट सीटी’ के संबंध में देखा जा सकता है। भारत सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट भारत को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने में विफल रहा है जबकि यह प्रोजेक्ट का घोषित मूल उद्देश्य रहा है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत के पास करोड़ों गरीब लोगों को फिर से खड़े करने का बहुत बड़ा काम है जो लॉकडाउन की वजह से वापस गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारी सरकारों को प्रचार – तंत्र और डिजिटल शोर-शराबा के मोह को त्याग कर जमीनी स्तर पर नीतियों के क्रियान्वयन पर फोकस करना होगा।
विश्लेषकों का कहना है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया में भारत को एक बार फिर से शुरुआत करनी होगी जिसमें करोड़ों युवाओं को रोजगार देने के साथ कई छोटे और मध्यम उद्यमियों को सरकारी प्रोत्साहन की आवश्यकता होगी तभी भारत आत्मनिर्भरता की श्रेणी में शामिल हो सकता है।
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