भारत में जाति व्यवस्था को स्पष्ट कीजिए।

भारत में जाति व्यवस्था को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर—भारत में जाति व्यवस्था—भारत में जाति व्यवस्था लोगों को चार अलग-अलग श्रेणियों—–—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में बाँटती है। जाति में एक वंशानुगत समूह होता है जो अपनी अपनी सामाजिक स्थिति को परिभाषित करते हैं। पहले भारत में हर व्यक्ति की जाति अपने व्यवसाय में रहना होता था। उच्च जाति के लोगों को किसी अन्य जाति के लोगों से आपस में मिलने और शादी करने की अनुमति नहीं मिलती थी। इस प्रकार भारत में जातियाँ वास्तव में समाज को अलग कर रही थी आमतौर पर जाति व्यवस्था हिन्दू धर्म से जुड़ी होती है। ऋग्वेद के अनुसार चार वर्ग थे जिन्हें ‘वर्ण’ कहा जाता था। वर्णों में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र होते थे। अधिकांश इतिहासकार आज भी मानते हैं कि आज की जाति व्यवस्था इन वर्णों पर आधारित है। इसके अलावा यहाँ पाँचवीं श्रेणी भी मौजूद थी जो शूद्रों से भी कमजोर मानी जाती थी और वह ‘अछूत’ या दलित होते थे। ये वे व्यक्ति थे जो मलमूत्र या मृत पशुओं को निकालने का कार्य करते थे। इसीलिए उन्हें मंदिरों में प्रवेश करने और एक जल स्रोत से पानी आदि की अनुमति नहीं थी। छूआछूत भेदभाव का सबसे सामान्य रूप है जो कि भारत में जाति व्यवस्था पर आधारित है। परन्तु सरकार ने आज इन भेदभावों और ऊँचनीच की भावना को पूर्णतः निषेध कर दिया है तथा इस कानून का उल्लंघन करने पर संविधान के अनुसार कार्यवाही की जाती है।

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