भारत में शिक्षा व्यवस्था के विकास का सिंहावलोकन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
भारत में शिक्षा व्यवस्था के विकास का सिंहावलोकन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
उत्तर— भारत में शिक्षा व्यवस्था के विकास का सिंहावलोकनअंग्रेजी शासन काल में भारतीय शिक्षा व्यवस्था का प्रभाव आरम्भ हो गया था । साजेन्ट योजना में उच्च शिक्षा की विभिन्न समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया गया था किन्तु राजनीतिक अस्थिरता के कारण इन समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता। अन्तर्विश्वविद्यालय बोर्ड एवं केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड ने तत्कालीन विश्वविद्यालय शिक्षा की स्थिति पर चिन्तन करने के बाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। भारतीय विश्वविद्यालयों के कार्य का मार्गदर्शन करने के लिए भारत सरकार हण्टर कमीशन के आधार पर एक ऐसे आयोग की नियुक्ति करे जो विश्वविद्यालय शिक्षा पर देश की वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सुधार तथा विकास के लिए सुझाव दे । उक्त प्रस्ताव की अनुपालना में नवम्बर 1948 में डॉ. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में आयोग नियुक्त किया। इस आयोग का उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना एवं सुधार तथा विस्तार के लिए सुझाव देना जो देश की वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं के अनुरूप हो। 23 सितम्बर, 1952 को माध्यमिक शिक्षा आयोग का गठन किया गया। आयोग ने तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा के उन्नयन एवं पुनर्गठन हेतु जाँच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। भारतीय संविधान द्वारा शिक्षा के लिए निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र से निरन्तर दबाव बनाया जाने लगा सम्पूर्ण शिक्षा क्षेत्र का विस्तारपूर्वक उत्थान करने हेतु भारत सरकार द्वारा जुलाई 1964 में कोठारी आयोग की नियुक्ति की गई ।
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