भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का वर्णन करें।

भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का वर्णन करें।

उत्तर-सूती वस्त्र उद्योग देश का काफी प्राचीन उद्योग है जिसमें लगभग 3.5 करोड़ लोग लगे हुए हैं। इस उद्योग का पहला कारखाना 1854 में मुंबई में स्थापित किया गया। आज इस उद्योग के देश में लगभग 18,46 से अधिक मिले हैं। सर्वाधिक मिलें महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल में हैं। दक्षिण भारत में जलशक्ति के विकास के कारण इस उद्योग का विकेंद्रीकरण हुआ है। सूती-वस्त्र उद्योग के कारखाने आरंभ में कपास उत्पादक क्षेत्रों में लगाए गए, बाद में इसका विकेंद्रीकरण पूरे देश में हुआ है। 1950-51 में लगभग 4 अरब मीटर कपड़ा तैयार किया गया जो आजकल 53 अरब मीटर हो चुका है। वर्तमान में इस उद्योग के केंद्र मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, कानपुर, चेन्नई, बड़ोदरा, कोयंबटूर, मदुरै, ग्वालियर, सूरत, मोदीनगर, शोलापुर, इंदौर, उज्जैन, नागपुर हैं। देश में कुल सूती वस्त्र मिलों का 80% निजी क्षेत्र में और शेष सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र में है। देश का 25% सूती-वस्त्र तैयार करने के कारण मुंबई को ‘कॉटनोपोलिस’ कहा जाता है।
देश के इस वृहत उद्योग का औद्योगिक उत्पादन में 14%, सकल घरेलू उत्पादन में 4% तथा विदेशी आय में 17% से अधिक योगदान है। इतना महत्त्वपूर्ण होते हुए भी आज यह उद्योग कई समस्याओं से गुजर रहा है। फिर भी, 1999-2000 में देश से 577 अरब रुपये मूल्य के सूती वस्त्र का निर्यात किया गया। कुल निर्यात में वस्त्र उद्योग की भागीदारी 30% है।

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